उत्तर प्रदेश : रामगंगा नदी में पिछले दो दशकों का रिकार्ड टूट गया है। जलस्तर खतरे के निशान से 65 सेंटीमीटर ऊपर है। इस नदी का जलस्तर 137.75 मीटर पर पहुंच गया है। बगैर मानूसनी मौसम के इस प्रकार की विपदा पहली बार लोगों को देखने को मिली है।देखते ही देखते सैकड़ों लोगों की फसलें बर्बाद हो गयीं तो वहीं करीब 200 गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। दोनों नदियों के भयंकर रूप लेने से हर तरफ बर्बादी का मंजर दिखाई पड़ रहा है। सबसे अधिक कहर गंगापार में है जहां पर दोनों नदियों की धार एक हो गयी है। सोमवार की शाम भी गंगानदी में विभिन्न बैराजों से करीब 1 लाख 70 हजार क्यूसेक पानी पास किया गया है।
गंगानदी का जलस्तर शाम को 137.10 मीटर पर स्थिर रहा जो कि खतरे का निशान है। जबकि मानसूनी मौसम में इस प्रकार से कभी भी लोगों को नदियों के कहर से नहीं जूझना पड़ा था। नरौरा बांध से गंगानदी में 96305, हरिद्वार से 38150, बिजनौर से 46687 क्यूसेक पानी पास किया गया है। जबकि खो, हरेली, रामनगर बैराज से रामगंगा नदी में 11096 क्यूसेक पानी पास किया गया है। नदियों की ओर से मचाई गई तबाही से हर तरफ कोहराम मचा है। लोग अपनी जिंदगी बचाने के लिए इधर उधर भाग रहे हैं। मवेशियों समेत कई गांव के लोगों ने सड़कों की ओर डेरा डाल दिया है। बाढ़ की विपदा से प्रभावित गंगापार के लोग हैं। जहां पर दोनों नदियों के मिलन ने सैकड़ो परिवारों का सब कुछ बर्बाद कर दिया है। गंगापार क्षेत्र के पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्र में चारो तरफ पानी के सिवाय कुछ नहंी दिख रहा है। दर्जनों स्कूल पानी से भर गए हैं तो वहीं संपर्क मार्ग भी पानी में डूबे हैं। पूरे जिले में करीब 200 से अधिक गांव बाढ़ से प्रभावित हो गए हैं। कंपिल की कटरी, शमसाबाद तराई क्षेत्र के अलावा सदर तहसील क्षेत्र के निचले इलाकों में गंगानदी लगातार कहर बरपा रही है। कई गांव के लोग छोड़कर भाग रहे हैं मगर उन्हें गांव से निकलने के लिए रास्ता नहीं सूझ रहा है। गांव के लोग नाव न मिलने से फंसे हुए हैं। इनको निकालने के लिए किसी प्रकार की केाई मशक्कत नहीं हो रही है।