इस समय देश मे मैरिटल रेप को लेकर माहौल गर्म है।भारत में वैवाहिक बलात्कार यानी मैरिटल रेप कानून की नज़र में अपराध नहीं है। यानी अगर पति अपनी पत्नी की मर्ज़ी के बगैर उससे जबरन शारीरिक संबंध बनाता है तो उसे अपराध नहीं माना जाता।
केंद्र सरकार ने दिल्ली हाई कोर्ट में मैरिटल रेप को अपराध करार देने के लिए दायर की गई याचिका के ख़िलाफ़ कहा कि इससे ‘विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है। दिल्ली हाई कोर्ट में केंद्र सरकार ने कहा, मैरिटल रेप को अपराध नहीं करार दिया जा सकता है। ऐसा करने से विवाह की संस्था अस्थिर हो सकती है। पतियों को सताने के लिए ये एक आसान औजार हो सकता है।पति अपनी पत्नी की मर्जी के खिलाफ जाकर संबंध बनाता है तो उसे बालात्कार कहा जाएगा। यह हम नहीं कह रहे बल्कि यह फैसला तो केरल उच्च न्यायालय ने सुनाया है। कोर्ट के अनुसार पत्नी के शरीर को अपनी संप्पति समझना और उसकी इच्छा के बिना यौन संबंध बनाना वैवाहिक दुष्कर्म है।केरल हाईकोर्ट ने एक अहम फैसले में कहा था कि मैरिटल रेप तलाक का दावा करने के लिए एक मजबूत आधार है। कोर्ट के अनुसार, भारत में मैरिटल रेप के लिए सजा का प्रावधान नहीं किया गया है, लेकिन इसके बावजूद यह तलाक का आधार हो सकता है।
आईपीसी की धारा 375 के मुताबिक़, कोई व्यक्ति अगर किसी महिला के साथ उसकी इच्छा के विरुद्ध या उसकी मर्जी के बिना संबंध बनाता है, तो वह रेप कहा जाएगा। महिला की सहमति से संबंध बनाया गया हो, लेकिन यह सहमति उसकी हत्या, उसे नुक़सान पहुंचाने या फिर उसके किसी करीबी के साथ ऐसा करने का डर दिखाकर हासिल की गई हो, तो यह भी रेप होगा। महिला को शादी का झांसा देकर संबंध बनाया गया हो, तो वह रेप होगा। महिला की मर्जी से संबंध बनाया गया हो, लेकिन सहमति देते वक्त महिला की मानसिक स्थिति ठीक नहीं हो या फिर वह नशे में हो और उस सहमति के नतीजों को समझने की स्थिति में न हो, तो रेप होगा। इसके अलावा महिला की उम्र अगर 16 साल से कम हो, तो उसकी मर्जी से या उसकी सहमति के बिना बनाया गया संबंध रेप है। हालांकि पत्नी अगर 15 साल से कम की हो, तो पति का उसके साथ संबंध बनाना रेप नहीं है।
मैरिटल रेप आईपीसी में रेप की परिभाषा तो तय की गई है, लेकिन उसमें मैरिटल रेप या वैवाहिक बलात्कार के बारे में कोई जिक्र नहीं है। आईपीसी की धारा 376 रेप के लिए सजा का प्रावधान करती है। आईपीसी की इस धारा में पत्नी से रेप करने वाले पति के लिए सजा का प्रावधान है, बशर्ते पत्नी 12 साल से कम उम्र की हो। इसमें कहा गया है कि 12 साल से कम उम्र की पत्नी के साथ पति अगर बलात्कार करता है, तो उस पर जुर्माना या उसे दो साल तक की क़ैद या फिर दोनों सजाएं दी जा सकती हैं। यानी धारा 375 और 376 के प्रावधानों के अनुसार संबंध बनाने के लिए सहमति देने की उम्र 16 वर्ष है, लेकिन 12 साल से बड़ी उम्र की पत्नी की सहमति या असहमति का रेप से कोई लेनादेना नहीं है। वहीं, घर के अंदर महिलाओं के यौन शोषण के लिए 2005 में घरेलू हिंसा कानून लाया गया था। यह कानून महिलाओं को घर में यौन शोषण से संरक्षण देता है। इसमें घर के भीतर यौन शोषण को परिभाषित किया गया है।हिंदू विवाह अधिनियम पति और पत्नी के लिए एक-दूसरे के प्रति कई जिम्मेदारियां तय करता है। इनमें संबंध बनाने का अधिकार भी शामिल है। क़ानूनन यह माना गया है कि शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करना क्रूरता है। इस आधार पर तलाक भी मांगा जा सकता है।
“कितनी अजीब बात है कि जिस देश में लड़की की शादी की उम्र 18 साल है और जहां नाबालिग लड़की द्वारा उसकी सहमति होने पर भी बनाया गया संबंध रेप की श्रेणी में आता है, उसी देश में शादी के नाम पर किसी पुरुष को अपनी नाबालिग पत्नी के साथ यौन संबंध बनाने की इजाजत कानून कैसे दे सकता है?