अगर विकास के मुद्दों,जनकल्याणकारी योजनाओं एवं बेरोजगारी के मुद्दे पर बात किया जाए तो लोगों के सुझाव एवं राय के बाद एक बात तो समझ में आ गया है कि मौजूदा सरकार में लोगो को सिर्फ धर्म और आस्था के नाम पर छलावा करके नाकामियों को छुपाने का प्रयास किया गया है अगर बात बेरोजगारी की जाए नौकरी के लिए प्रयासरत अभ्यर्थियों का धरना प्रदर्शन लगा रहता है कई परीक्षाएं पेपर लीक होने एवं कई परीक्षाओं का रिजल्ट आने से पहले ही चर्चा में आ जाते हैं मौजूदा सरकार के कार्यकाल में कोई भी युवा खुश नहीं है क्योंकि अधिकतर युवा बेरोजगारी का दंश झेल रहा है मौजूदा सरकार में चाहे वह स्वास्थ्य सेवाएं हो य जन कल्याणकारी योजनाओं की कहीं ना कहीं कमियां तो सामने निकल कर आई हैं अगर हम सड़कों के ही बात कर ले तो यूपी में कई जगह सड़कों की हालत बहुत ही खस्ताहाल है सरकार गड्ढा मुक्त सड़कों के होने का दावा करती है लेकिन जब सड़कों की स्थिति देखी जाती है तो बहुत ही खस्ताहाल होती है यह कहना सही होगा कि सिर्फ कागजों में ही सड़कें चुस्त एवं दुरुस्त पाई जाती हैं यूपी के कई जनपदों में सड़कों की हालत इतनी खस्ताहाल है कि अधिकतर मार्ग दुर्घटनाएं इन्हीं खस्ताहाल रास्तों की वजह से होती है हर जगह भ्रष्टाचार व्याप्त है अगर सड़क का टेंडर आता है तो उसमें हर किसी का हिस्सा सेट होता है जो कई वर्षों से चला आ रहा है जब एक निश्चित बजट में हिस्सा सेट होगा तो आप समझ ही सकते हैं कि किस तरह के हालात होंगे और विकास कार्य होंगे।
अब बात करते हैं स्वास्थ्य सेवाओं की यूपी के कई जिलों में स्वास्थ्य सेवाओं के हालत इतने दयनीय है कि मरीजों को बेहतर इलाज नहीं मिल पाता है सरकारी अस्पतालों में सरकारी डॉक्टर हैं सरकारी दवाइयां हैं लेकिन लोगों की पहुंच से बहुत दूर अगर कहा जाए तो सरकार बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं का दावा करती है लेकिन अगर उसको धरातल पर देखा जाए तो स्थिति कुछ और ही नजर आती है मौजूदा सरकार ने एक बात तो जान ही लिया है कि अगर अपना वोट बैंक मजबूत करना है तो लोगों में धर्म और संस्कृति का ऐसा बीज बोना होगा कि लोग धर्म और आस्था के नाम पर सरकार को वोट दें और जो भी सरकार की नाकामिया हो वह छुप सके। यह हमारे देश की सबसे बड़ी समस्या य दुर्भाग्य कहा जाए जहां चुनाव आते ही त्योहारों की तरह एक महोत्सव शुरू हो जाता है लोग जाति धर्म के बंधन में ऐसे जकड़ जाते है जैसे चंदन के वृक्ष में सर्प लिपट जाता है , यूपी में अभी हाल ही में टेट परीक्षा में जिस तरीके से पेपर सोशल मीडिया में वायरल हुआ और उसको वायरल करने वाले लोगों का सच सामने आया उससे तो एक बार तो यह पता चलता है कि अगर आप सरकार में अपनी पहुंच पकड़ रखते हैं तो कुछ भी कर सकते हैं
टेट परीक्षा के आयोजन में जिस तरह से लापरवाही और टेंडर ऐसी कंपनी को देने के बात सामने आई जिसमें अनियमितता हो जो टेंडर लेने योग्य ना हो उसको टेट परीक्षा जैसे महत्वपूर्ण परीक्षा कराने का टेंडर मिला हो तो आप समझ सकते है कि किस तरह का भ्रष्टाचार व्याप्त है अभ्यार्थियों के सोशल मीडिया कैंपेन और विधानसभा चुनाव को देखते हुए सरकार ने जल्द से जल्द टेट परीक्षा कराने का ऐलान किया क्योंकि सरकार भी जानती है कि अगर युवा अभ्यर्थी नाराज हो गए तो सरकार को इसका खामियाजा 2022 के विधानसभा चुनाव में भुगतना पड़ सकता है। यूपी विधानसभा के चुनाव को देखते हुए तमाम दल अपने लुभावने विज्ञापनों के जरिए जनता को अपनी ओर आकर्षित करने का भरसक प्रयास कर रहे हैं हर जगह पार्टी के शीर्ष नेता एवं स्टार प्रचारक हर जिले में अपनी उपस्थित दर्ज करा कर जनता को बरगलाने का प्रयास कर रहे हैं अब जनता को भी चाहिए कि 2022 के चुनाव में लुभावने विज्ञापनों की जगह विकास कार्यों को ध्यान में रखते हुए अपने मताधिकार का प्रयोग करें ऐसी सरकार और जनप्रतिनिधि चुने जो जनता की आवाज सुने और सरकार में अपनी बात कह पाने की हिम्मत रखता हो, जनता को भी धर्म आस्था के नाम पर गुमराह ना होकर विकास कार्यों को ध्यान में रखते हुए यूपी विधानसभा के चुनाव में सही प्रतिनिधि को चुने।