कई जाने माने लोगों की नैया पार लगाने वाले नीम करोली बाबा कहते हैं चिंता मूर्ख लोग करते हैं और बुद्धिमान लोग चिंतन करते हैं। चिंता और चिंतन दोनों में काफी फर्क है। अपनी लक्ष्य को पाने के लिए चिंता करना व्यर्थ है, लेकिन चिंतन जरुरी है ताकि कार्यशैली को काफी मजबूत भी बना सकें। नीम करोली बाबा ये भी कहते हैं जो अपने काम को सर्वश्रेष्ठ मानते हैं उनकी डिक्शनरी में लापरवाही और आलस जैसे शब्द ही नहीं होते। अपनी मंजिल को पाना है तो इन दो चीजों का त्याग करना बहुत ही जरुरी है नहीं तो बेवजह की परेशान बढ़ने लग जाती है।मनुष्य जीवन में दुख-सुख आते जाते ही रहते हैं। नीम करोली बाबा ये भी कहते हैं दुख का रोना रोने से अच्छा है जो हुआ उससे सीख लेकर आगे बढ़े और दोबारा वह गलती बिल्कुल न दोहराएं। जो भूत को ध्यान में रखते हुए भविष्य की सोचता है उसे आसमान में ऊंचाईंया छूने से बिल्कुल भी कोई नहीं रोक पाते। नीम करोली बाबा के अनुसार कर्म व्यक्ति के दुख और सुख का कारण बनते हैं और हमारे कर्म, दूसरों के लिए बुरी सोच ही तमाम तरह की परेशानियों को न्योता देती है। तो किसी का भला न कर पाएं तो बुरा भी न करें, कर्म प्रधान बनें, भाग्य खुद-ब-खुद आपके साथ चलने लगेगा। सुख-सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए पैसा बहुत ही महत्वपूर्ण है लेकिन धन का अनावश्यक और अनैतिक खर्च व्यक्ति के भविष्य को अंधकार में लटका देता है। नीम करोबी बाबा के अनुसार पैसा संचय के साथ, उसकी उपयोगिता के बारे में व्यक्ती को पता होने भी जरुरी है तभी व्यक्ति अर्श से फर्श तक पहुंच भी पाता है।