राजेश रंजन झा की रिपोर्ट
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शनिवार को विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए हुई बैठक में लॉकडाउन बढ़ाने पर आम सहमति बन चुकी है। कुछ राज्यों ने अपने स्तर पर इसे बढ़ा भी दिया है। केंद्र सरकार भी जल्द ही अप्रैल के पूरे महीने के लिए लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा कर सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहली बार लॉकडाउन की घोषणा की थी तो मंत्र दिया था ‘ जान है तो जहान है’। शनिवार को उन्होंने कहा कि अब नया मंत्र है, ‘ जान भी जहान भी’। यानी माना जा रहा है कि लॉकडाउन के साथ पीएम मोदी कई और फैसले ले सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था और आम आदमी की जिंदगी की गाड़ी थोड़ी खिसके। आइए देखें वो कौन-कौन से क्षेत्र हैं, जिनमें आर्थिक गतिविधियां शुरू होने की संभावना है..
उद्योगों को आंशिक रूप से छूट देने का सुझाव
केंद्रीय मंत्रियों की ओर से भी प्रधानमंत्री को सुझाव दिया गया है कि उद्योगों को आंशिक रूप से लॉकडाउन में छूट मिलनी चाहिए। समाचार एजेंसी प्रेट्र के मुताबिक, गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को लिखे पत्र में विभाग ने कहा है कि आर्थिक हालात में सुधार और लोगों के हाथ में नकदी पहुंचाने के लिए कुछ आर्थिक गतिविधियों को शुरू करना जरूरी है। इसमें कहा गया है कि विभिन्न राज्यों एवं उद्योग संगठनों से बातचीत के बाद यह एक्जिट प्लान तैयार किया गया है। लॉकडाउन की अवधि व उसके प्रावधानों पर अंतिम फैसला लेते समय इन पर ध्यान दिया जाना चाहिए। पत्र में कहा गया है कि कृषि मंत्रालय इस संबंध में गृह मंत्रालय को अलग से सिफारिश भेज सकता है।
इन उद्योगों को अनुमति संभव
ऑप्टिक फाइबर केबल, पावरलूम, पल्प और कागज ईकाइयां, उर्वरक, कंप्रेसर एंड कंडेंसर इकाइयां, इस्पात और फेरस एलॉय मिल, पेंट, प्लास्टिक, वाहन इकाइयां, रत्न एवं आभूषण तथा सेज एवं निर्यात से जुड़ी कंपनियों को काम की अनुमति मिल सकती है। ट्रांसफॉर्मर एवं सर्किट व्हीकल, टेलीकॉम इक्विपमेंट व कंपोनेंट और खाद्य एवं पेय पदार्थो से जुड़े उद्योग भी काम कर सकते हैं।
उद्योग विभाग का ये है प्रस्ताव
- गलियों में ठेले लगाने वालों को अनुमति मिले ताकि घर-घर फल-सब्जी की आपूर्ति हो
- फ्रिज, टीवी, एसी रिपेयर करने वाले भी सुरक्षा के प्रबंध करते हुए कर सकते हैं काम
- जरूरत को देखते हुए धोबी, बढ़ई और इलेक्ट्रीशियन के काम पर न हो कोई रोक
- न्यूनतम कर्मचारियों के साथ एक शिफ्ट में काम कर सकते हैं कई अहम उद्योग
- सीमेंट उद्योग में सुरक्षा के मानकों के साथ तीनों शिफ्ट में काम की मिले इजाजत
पहले चरण में उत्पादन यहां शुरू हाे सकता है उत्पादन
कैबिनेट मंत्रियों की ओर से सुझाव है कि सड़क निर्माण, आवश्यक वस्तुओं के निर्माण से जुड़े उद्योगों को पहले चरण में उत्पादन शुरू करने की इजाजत दी जा सकती है। अगर कोई उद्योग कोरोना प्रसार से बचते हुए औद्योगिक गतिविधि को शुरू करने का ब्लू प्रिंट देता है तो उसे भी मंजूरी दी जा सकती है। लेकिन उसे बताना होगा कि संक्रमण होने पर इलाज के क्या प्रबंध हैं। मसलन उसके पास संक्रमण रोकने के लिए डिसइंफेक्टेंट हो, पास में अस्पताल हो, कम लोगों की मौजूदगी में कार्य हो सके। बताया जाता है कि छोटे और मध्यम दर्जे के उद्योगों को छूट देने की पैरवी की गई है ताकि श्रमिकों को भी काम पर लगाया जा सके।
सड़क निर्माण शुरू करने पर जोर
सरकार ने ‘सुरक्षा स्टोर’ खोलने की तैयारी की है। अगले 45 दिन में देशभर में ऐसे 20 लाख सुरक्षा स्टोर संचालन में आ जाने की उम्मीद है। इसके लिए सरकार बड़ी एफएमसीजी कंपनियों के साथ मिलकर आसपास के रिटेल स्टोर को ही सुरक्षा स्टोर में बदलने की व्यवस्था कर रही है। सूत्रों को कहना है कि इन्फ्रास्ट्रक्चर से जुड़ी कुछ शर्तो को पूरा करने वाला कोई भी किराना स्टोर ‘सुरक्षा स्टोर’ बनने के लिए आवेदन कर सकेगा। सुरक्षा स्टोर में सिर्फ किराना दुकानों को ही नहीं बल्कि टिकाऊ उपभोक्ता उत्पाद की दुकानों, कपड़ों और सैलून को भी शामिल करने की योजना है। इन दुकानों पर साफ-सफाई और एक-दूसरे से दूरी बनाए रखने से जुड़ी हर तरह की एहतियात बरती जाएगी। इन दुकानों को डिसइंफेक्टेंट भी किया जाएगा।
दुकानदारों को ग्राहकों के दुकान में घुसने से पहले हैंड सैनिटाइजर या हाथ धोने, सभी स्टाफ के लिए मास्क और ज्यादा छूने में आने वाले स्थानों को दिन में दो बार डिसइंफेक्टेंट करने की व्यवस्था करनी होगी। योजना को लागू करने के लिए सरकार निजी कंपनियों को शामिल करेगी। यह कंपनियां हर तरह के प्रोटोकॉल का पालन सुनिश्चित करेंगी। साथ ही अनिवार्य वस्तुओं के विनिर्माता के यहां से सामान लेकर खुदरा दुकानों तक उनकी सुरक्षित पहुंच भी सुनिश्चित करेंगी।
50 से ज्यादा बड़ी एफएमसीजी कंपनियों से संपर्क
सूत्रों ने बताया कि उपभोक्ता मामलों के सचिव पवन कुमार अग्रवाल के साथ टॉप एफएमसीजी कंपनियां एक दौर की बैठक कर चुकी हैं। यह सार्वजनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) के साथ लागू की जाने वाली महत्वाकांक्षी योजना है। प्रत्येक एफएमसीजी कंपनी को इस योजना को अमली जामा पहनाने के लिए एक या दो राज्यों की जिम्मेदारी दी जा सकती है। अग्रवाल ने सुरक्षा स्टोर की दिशा में काम करने की जानकारी तो दी है, लेकिन विस्तार से कुछ नहीं बताया। एक प्रमुख एफएमसीजी कंपनी के शीर्ष अधिकारी ने इस योजना की पुष्टि की है। अधिकारी ने बताया कि 50 से ज्यादा बड़ी एफएमसीजी कंपनियों से संपर्क किया गया है। कंपनियां इस योजना में सरकार का साथ देने के लिए तैयार हैं।