गौरव शुक्ला की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद-रुपये न देने पर पुलिस द्वारा की गई गुण्डा एक्ट की कार्यवाही का जिक्र न्यायालय में पेशी के दौरान अभियुक्त ने न्यायाधीश के समक्ष करते हुए बताया कि मुझसे 50 हजार रुपये की मांग की गई। मना कर देने पर मेरे खिलाफ यह कार्यवाही की गई है।
गैंगस्टर एक्ट में पकड़े गये मंयक शुक्ला ने अदालत को यह भी बताया कि वह एक मामूली रिक्शा चालक है और उसकी मां होमगार्ड विभाग में नौकरी करती है। उसे पुलिस घर से बुला ले गयी और थाने में बिठाये रखा। मेरी मां ने पुलिस से जब छोडऩे की बात कहीं तो क्षेत्राधिकारी ने 50 हजार रुपये की मांग की, रुपये न देने पर झूठा मुकदमा कायम कराने बात कहीं। उसके बाद गैंगस्टर एक्ट का मुकदमा पंजीकृत कर दिया गया। मयंक ने कहा कि उसे धमका कर जबरदस्ती जुर्म कबूल कराया गया। जिस पर विशेष न्यायाधीश गैंगस्टर एक्ट नरेन्द्र प्रकाश ने कहा कि आरोपी के बयान से ऐसा लग रहा है कि यूपी गैंगस्टर एक्ट जैसे गंभीर कानून को एक उपकरण की तरह पुलिस कर्मियों द्वारा निर्दोष लोगों को फंसाने के लिए प्रयोग किया जा रहा है, जो आपत्तिजनक अस्वीकार्य है। न्यायाधीश ने अभियुक्त द्वारा न्यायालय में उजागर किये गये तथ्यों को विवेचना में शामिल करके निर्धारित समय सीमा में न्यायालय में प्रस्तुत करने के आदेश दिये है। अभियुक्त मयंक शुक्ल का रिमाण्ड सात दिन के लिए स्वीकृत किये जाने का आदेश न्यायाधीश ने दिया और कहा कि उसका वारंट बनाकर जिला कारागार के लिए प्रेषित किया जाये और अगली रिमाण्ड विवेचक अपनी स्वयं विवेचना की आख्या लेकर न्यायालय में उपस्थित हो।