राजेश कुमार गुप्ता की रिपोर्ट
वाराणसीः उत्तर प्रदेश स्थित शिवनगरी वाराणसी में आज भगवान कृष्ण कालिया मानमर्दन करेंगे। काशी की ख्यात नागनथैया लीला कार्तिक शुक्ल चतुर्थी पर बुधवार आज सजेगी। तुलसी घाट पर गंगा नदी यमुना के रूप होंगी वहीं लीलाधर भगवान श्रीकृष्ण कंदुक खेलने आएंगे। कालिय के फन नाथेंगे और शिवनगरी में भक्तों को दर्शन देंगे।
450 साल पहले गोस्वामी तुलसीदास ने शुरू कराई थी लीला
बता दें कि गोस्वामी तुलसीदास द्वारा 450 साल पहले शुरू कराई गई कार्तिक शुक्ल चतुर्थी तद्नुसार बुधवार की शाम तुलसीघाट पर भगवान श्रीकृष्ण की नागनथैया लीला सजेगी। लीला का प्रमुख प्रसंग बुधवार को दोपहर तीन बजे जीवंत होगा। इसमें विशाल नाग के फन पर चढ़ प्रभु श्रीकृष्ण जल में परिक्रमा करते हुए दर्शन देंगे। लीला समिति सदस्यों के साथ मिल कर माझी समाज के लोगों ने लगभग 12 फीट लंबे नाग को आकार दिया है। लीला से ठीक पहले नाग को तुलसीघाट पर जल में डुबा दिया जाएगा। इसके लिए तैयारियां भी हो चुकी हैं।
लीला में शामिल होते हैं काशी नरेश
आगे बता दें कि काशी के नागनथैया के आयोजन की मान्यता काशी ही नहीं बल्कि समूचे देश में है। शिव की नगरी काशी में अनोखा नजारा होगा जब हर हर महादेव के साथ मोर मुकुट बंशी वाले की जय का नारा एक साथ फिजा में घुलेगा और काशी में माहौल पूरी तरह भक्ति भाव में डूब जाएगा। गंगा नदी कुछ देर के लिए यमुना बन जाएगी। श्रीकृष्ण के इस रूप का दर्शन करने दूर-दूर से लोग आते हैं। काशी नरेश भी आयोजन में शामिल होते हैं और आयोजकों को स्वर्ण मुद्रा प्रदान करने की परंपरा का भी निर्वाह करते रहे।
यह है कथा
श्रीकृष्णलीला के अनुसार यमुना नदी के पास कंदूक या बॉल खेलते समय वह नदी में गिर जाता है तब भगवन के सखा उनसे वह लाने की जिद करते हैं। मगर किसी की भी हिम्मत नहीं होती है कि वह अंदर जा सके और कंदूक को ला सके। इसकी वजह रहता है कालिया नाग जो कि भयंकर और जहकीला रहता है। नटवर नागर अंदर जाते हैं और कंदूक ले आते हैं। इतना ही नहीं वह कालिया नाग के घमंड का भी मर्दन कर देते हैं। भारत भर से लोग यह मेला देखने तुलसी घाट पर आते हैं और हर-हर महादेव के साथ जय श्रीकृष्ण का भी उद्घोष करते हैं।