अविजीत आनंद की रिपोर्ट
वाराणसी । मिर्जापुर मे मंत्री जी सभा चल रही थी उसमे स्थानीय किसान मीटर हाथ मे लेकर अपना दुख दर्द दिखाने पहुंचा, जहा ऊर्जा राज्य मंत्री जी का कार्यक्रम चल रहा था।
पूरा घटनाक्रम क्रम समझें
मिर्जापुर के मडिहान ब्लाक के धनावल गाँव में माननीय ऊर्जा राज्य मंत्री जी का कार्यक्रम चल रहा था। वहीं कुछ स्थानीय किसान अपने हाथों में बिजली मीटर लेकर सभा मे मंत्री जी के समक्ष पहुंच गये और बताने लगे कि हमारे घरो मे ना तो कोई बिजली का संयोजन है ना तार खिचा है ना ही खम्बे ही लगे है बस सौभाग्य योजना मे हमे यह मीटर पकडा दिये गये है और अब इन मीटरों का बिल भी आ रहा है जब कि दूर दूर तक बिजली का अता पता ही नहीं।
जब इस खबर पर इस प्ररतिनिधिि ने अपनी पडताल शुरू की तो घोटले की अन्तहीन परते खुलनी शुरू हो गई कि किस तरह से जिम्मेदार अधिकारीयो ने ऊपरी दबाव को झेलते हुए बडी कार्यदायी संस्थाओ के आगे घुटने टेकने को मजबूर होना पडा।
जैसा कि हमारे सूत्र बताते हैैं कि सौभाग्य योजना के अन्तर्गत हर एक संयोजन के लिए 3200 ₹ दिये गये थे । माननीय प्रधान मंत्री जी की आम जन मानस के घर-घर बिजली पहुचाने की यह सौभाग्य योजना अब लग रहा है कि जनता के दुर्भाग्य योजना मे बदलती जा रही है। इस के घटना क्रम पर एक अधिकारी महोदय बडा ही बेतुका बयान देते देखे गये । जनाब का कहना है कि मीटर पहले पकडा दिया जाता है और लाइन बाद मे खींची जाएगी ! आखिर यह कैसे सम्भव है कि मीटर लग गया सारी लिखा पढी हो गयी बिल भी उपभोक्ताओं तक पहुंच गया ना खम्बा लगा ना तार खिची और उपभोक्ताओ ने बिजली भी खर्च कर दी??
जरा महोदय यह स्पष्ट करने का कष्ट करेंगे कि आखिर वो कौन सी तकनीक है जिससे कि बिना संस्धान लगाए बिजली पहुंच कर खर्च हो गयी? जरा इस तकनीक को सार्वजनिक करने का कष्ट करें!! इस तकनीक पर तो इन विभागीय अधिकारियों को कोई बडा पुरस्कार प्रदान किया जाना चाहिए !
एक तरफ तो सरकार करोडो रूपय खर्च कर इन संयोजनो का सत्यापन करा रही है , लेकिन किस तरह का सत्यापन हो रहा है? वह प्रमाण सहित देखने को मिल गया जब राज्य मंत्री के सामने ही अधिकारीगण गलत बयानी करते झूठ बोलते हुए सार्वजनिक रूप से घोटाले को नाकरते हैं । इस घटना को एक छोटी सी बात समझाने मे लगे हुए हैं। यानि कि दो साल से चल रही इस महत्वकांक्षी योजना जो कि 31 दिसम्बर को बन्द हो गयी है उसे और आगे बढाने के मुंगेरी लाल के हसीन सपने देख रहे है। इन महोदय का कथन देखें कि “मीटर उपभोक्ताओं को पहले पकडा दिया जाता है और संयोजन बाद मे” वाह भई वाह, खूब समझाया है एक यही समझदार है बाकी तो घास खाते है ।