अंजलि भारती की रिपोर्ट
वाराणसी । बदलते परिवेश में देह व्यापार का कारोबार अब हाईटेक हो चला है। आधुनिकता की चादर ओढ़े इस अवैध कारोबार ने अपनी पहुंच कंसल्टेंसी ऑफिसों, एक्सपोर्ट हाउसों, कोचिंग एवं ट्यूशन सेंटरों, कॉल सेंटरों तथा साइबर कैफे के केबिनों तक बनाई है। प्रशासन के कई प्रयासों के बावजूद इस धंधे पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। उल्टा पुलिस की लगातार छापामार कार्यवाही के बाद भी इस कारोबार की जड़ें दिन ब दिन मजबूत होती जा रही हैं।पुलिस की आए दिन की धरपकड़ के बावजूद देह व्यापार में लिप्त सरगनाओं का नेटवर्क इतना तगड़ा है कि प्रशासन इसे तोड़ पाने में पूरे तरह से नाकाम रहा है। इस कारोबार में लिप्त सरगनाओं और एजेंसियों ने ग्राहकों तक अपनी पहुंच बनाने और ग्राहकों के सुविधा के लिए सूचना और संचार क्रान्ति को अपना प्रमुख माध्यम बना लिया है। इस काले धंधे में लिप्त एजेंसियों द्वारा इंटरनेट पर वेबसाईट के माध्यम से इस कारोबार की जानकारी बेहद खुले तौर पर उपलब्ध कराई जा रहीं हैं। साथ ही इन वेबसाइटों पर इस घिनौने धंधे में लिप्त दलालों और सरगनाओं के मोबाइल नंबर (कांटेक्ट डीटेल्स) आसानी से मिल जाते हैं ताकि ग्राहकों को संपर्क करने में किसी भी तरह की कोई परेशानी न हो। इन वेबसाइटों पर हाई प्रोफाइल कॉल गर्ल्स की रेट लिस्ट भी उपलब्ध रहती हैं। आश्चर्यजनक बात तो यह है कि इन वेबसाइटों का संचालन कर रहे केंद्र / एजेंसियां खुद को वैध बताते हैं और मसाज, ब्यूटी ट्रीटमेंट, हैल्थ ट्रीटमेंट के नाम पर ग्राहकों को फंसा लिया जाता है तथा उन्हें जिस्मानी सुख देकर मोटी रकम वसूल ली जाती है।
हालात तो ये हैं कि इस कारोबार में लिप्त दलाओं ने अपनी निजी वेबसाईट बना रखी है और ये दलाल अलग-अलग शहरों के मसाज, ब्यूटी पार्लरों के संपर्क में भी रहते हैं। बेहद खुले तौर पर फल-फूल रहे इस कारोबार पर सरकार का कोई अंकुश नहीं है और न ही साइबर क्राइम एक्सपर्ट या पुलिस के विशेषज्ञ अधिकारी इस ओर कोई ध्यान दे रहे हैं। अनेकों वेबसाईट हैं जिन पर खुले रूप में इस घिनौने धंधे की जानकारियां उपलब्ध कराई जा रहीं हैं।
गौर करने वाली मुख्य बात तो यह है कि देह व्यापार के इस घिनौने खेल में छोटे तबके के मजबूर ही नहीं बल्कि ऊंचे, सभ्य और सुसंस्कृत परिवारों की आधुनिक लड़कियां भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रहीं हैं। इनमें अंगरेजी माध्यम से शिक्षित और संपन्न घरों की लड़कियां भी शामिल हैं जो अपने गृहनगरों से दूर बड़े शहरों में उच्च शिक्षा अर्जित करने नौकरी करने के लिए आती हैं।
बढ़े हुए रिहायशी खर्च, ऊंचे स्टेटस का खोखला दिखावा और ऐशोआराम का जीवन जीने की चाहतें पूरी करने के लिए ये लड़कियां इस गंदे कारोबार को अपना रहीं हैं। दरअसल हाईप्रोफाइल कॉलगर्ल्स के अधिकतर ग्राहक बिजनेसमैन हैं।पुसिल मानती है कि देह व्यापार गिरोह की धर पकड़ अक्सर एक असफल प्रयास साबित होता है क्योंकि थोड़े समय बाद यह फिर उभर आता है।
चूंकि यह एक जमानती अपराध है और पकड़ी गई लड़कियां कोर्ट द्वारा छोड़ दी जाती है, इसलिए वे फिर धंधा शुरू कर देती हैं। यह सामाजिक बुराई है इसलिए छापे निष्प्रभावी हैं। इसे कानूनी बना देना शायद बेहतर साबित हो, लेकिन राजनेता दुनिया के सबसे पुराने पेशे पर कानूनी मोहर लगाना नहीं चाहते, लिहाजा यह धंधा फलता फूलता जा रहा है।