संगीता चौरसिया की रिपोर्ट
उन्नाव(लखनऊ) : ब्लॉक फतेहपुर के अंतर्गत ग्रामपंचायत पीथन हारा गांव के ग्रामीणों का शोषण किया जा रहा है। ब्लॉक के उच्चाधिकारियों, प्रधानों व रेडियो पंचायतों द्वारा जनता की परेशानी भी नहीं सुनी जाती। जबकि पांच वर्षों से केंद्र सरकार लगातार ग्रामपंचायतों के विकास कार्यों के लिए करोड़ो रुपए भेज रही है। जमीनी स्तर पर कोई कार्य नहीं, बल्कि अधिकारियों की मिलीभगत में बंदर बांट हो जा रही है। बंदर बांट कर जनता को विकास कार्यों के बदले यूं ठेंगा दिखा दिया जा रहा है। साथ ही यहां के पदाधिकारियों द्वारा विकास कार्य मे रुचि न रखना फितरत जैसी प्रतीत होती है। स्पष्ट शब्दों में यों कहें कि उत्तर प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार ऐसे अधिकारियों की मनमानी से सरकार बदनाम होने के अलावे उसकी छवि भी धूमिल हो रही है।
सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से यहां की जनता वंचित है। जनता के शिकायत पर मीडिया की टीम लगातार एक सप्ताह से ग्राम पंचायतों में हुए कार्यों का सर्वे कर रही है।
ग्रामपंचायत में हुए कार्यों के संबंध में पूछे जाने पर एडीओ पंचायत- हेमंत कुमार जवाब देने से बचते हुए निकल लेते हैं।
ग्रामपंचायत- पिथन हारा के सचिव- रण केंद्र से पूछने पर एडीओ पंचायत हेमंत कुमार की हकीकत सामने आई। उन्होंने बताया कि उक्त पंचायत में मेरे द्वारा कोई कार्य नहीं कराया गया है। मुझे केवल दो महीने से ही तो चार्ज दिया गया है। विशेष कोई जानकारी नहीं है।
बता दें कि भले ही जमीनी स्तर पर कोई कार्य न हुआ हो,किन्तु कागजी कार्य पूरी हो जाती है। उच्च अधिकारियों से ग्रामपंचायत में हुए कार्यों की जांच की जनता ने मांग की है। दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई करने की भी मांग की जा रही है।