शशांक तिवारी की रिपोर्ट
लखनऊ-सरकारी अस्पतालों में गंभीर रोग के चिकित्सकों की कमी मरीजों को परेशान कर रही है। न्यूरो, कैंसर, कार्डियो, गैस्ट्रो, ह्दय, ईएनटी, प्लास्टिक सर्जरी और मानसिक रोगियों की तादाद लगातार बढ़ रही है, लेकिन अस्पतालों में इन रोगों के विशेषज्ञों की कमी है। इसके कारण अस्पताल रेफरल यूनिट की तरह काम कर रहे हैं। विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से मरीजों को दूसरे अस्पतालों का रास्ता दिखाया जा रहा है। मजबूरी में कई मरीज निजी अस्पतालों का रुख कर रहे हैं।
डॉ०श्यामा प्रसाद मुखर्जी (सिविल), बलरामपुर, लोकबंधु, टीबी और भाऊराव देवरस महानगर सिविल अस्पताल से प्रतिदिन करीब 100 से अधिक मरीज रेफर किए जा रहे हैं। क्योंकि इन सभी अस्पतालों में विशेषज्ञों के स्वीकृत पद हैं लेकिन नियुक्ति नहीं हुई है। इसलिए मरीजों को इलाज के लिए केजीएमयू और लोहिया संस्थान रेफर किया जा रहा है। इसके लिए मरीजों काे दौड़ लगानी पड़ रही है। जो इलाज सरकारी अस्पतालों में निश्शुल्क किया जा सकता है उसके लिए मरीजों को निजी अस्पताल में लाखों रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। अस्पताल प्रशासन का कहना है कि उनकी ओर से निरंतर पत्राचार किए जा रहे हैं लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता है।
अस्पतालों की स्थिति
कैसरबाग -बलरामपुर अस्पताल के सीएमएस डा. जीपी गुप्ता ने बताया कि कैंसर, न्यूरो, गैस्ट्रो, प्लास्टिक सर्जन और पीडियाट्रिक विशेषज्ञ के पद स्वीकृत होने के बाद भी खाली पड़े हैं।
हजरतगंज -डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल के सीएमएस डा. आरपी सिंह का कहना है कि गुर्दा विशेषज्ञ और गैस्ट्रो के चिकित्सक नहीं हैं। इस वजह से प्रतिदिन 15-20 मरीजों को रेफर किया जाता है।
कानपुर रोड -लोकबंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अजय शंकर त्रिपाठी ने बताया कि यहां मनोविज्ञानी व ह्रदय रोग विशेषज्ञ नहीं है। इस वजह से रोजाना करीब 15 मरीज निराश होकर लौट जाते हैं।
ठाकुरगंज -टीबी अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. आनंद बोध का कहना है कि परिसर में कार्डियो और ईएनटी विशेषज्ञ की कमी है। कई बार पत्राचार किया जा चुका है कोई जवाब नहीं मिल रहा है।
महानगर : भाऊराव देवरस सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा. आरसी सिंह ने बताया कि 24 घंटे की इमरजेंसी में कोई भी इमरजेंसी मेडिकल आफिसर (इएमओ) नहीं है। रोजाना 150 मरीज पहुंचते हैं जहां अन्य विभाग के डाक्टरों की ड्यूटी लगानी पड़ती है।
हमारी ओर से खाली पड़े पदों की नियुक्ति के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। मरीजों की दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए जल्द ही विशेषज्ञों की कमी को दूर किया जाएगा। – डा. वेदव्रत सिंह, महानिदेशक, स्वास्थ्य विभाग