उत्तर प्रदेश में जारी फेरबदल के बीच यूपी सरकार ने फिर पुलिस महकमे में बड़े पैमाने पर एक साथ 12 आईपीएस अफसरों के ट्रांसफर किए गए हैं। जिन अधिकारियों को ट्रांसफर किया गया है उनमें कानपुर और आगरा रेंज के आईजी भी शामिल हैं।ट्रांसफर लिस्ट के मुताबिक प्रशांत कुमार को कानपुर का नया आईजी बनाया गया है। इसके अलावा नचिकेता झा को आगरा के आईजी पद की जिम्मेदारी दी गई। कानपुर के आईजी रहे मोहित अग्रवाल अब आईजी टेक्निकल सर्विसेस होंगे। जबकि आगरा के आईजी रहे नवीन अरोड़ा को आईजी बजट बनाया गया है। योगेश सिंह कमांडेंट पीएसी रायबरेली बनाए गए हैं तो डॉ.अरविंद भूषण एसपी टेक्निकल सर्विसेज। कमांडेंट पीएसी सीतापुर के पद पर संजय सिंह की तैनाती की गई है।
कल्पना सक्सेना को सेनानायक 49वीं वाहिनी, पीएसी, गौतमबुद्धनगर से सेनानायक, 47 वीं वाहिनी पीएससी गाजियाबाद के पद पर ट्रांसफर किया गया है। इसी तरह राहुल यादुवेंदु को सेनानायक द्वितीय वाहिनी, पीएससी सीतापुर के पद से पुलिस अधीक्षक, मुख्यालय पुलिस महानिदेशक, लखनऊ के पद पर भेजा गया है। राजेश कुमार सक्सेना को सेनानायक, 8वीं वाहिनी, पीएससी बरेली, भारती सिंह को सेनानायक, 49वीं वाहिनी, पीएसी, गौतमबुद्धनगर और विकास कुमार वैद्य को सेनानायक, 37 वीं वाहिनी, पीएसी कानपुर नगर के पद पर भेजा गया
पिछले कुछ दिनों से यूपी में लगातार आईपीएस अफसरों के तबादले हो रहे हैं। इस महीने की शुरुआत में भी कुछ अफसरों के तबादले हुए थे। हालांकि पिछले एक महीने में यूपी में कई आईएएस अफसरों के भी तबादले हुए हैं। इसके साथ ही रायबरेली, बहराइच और गोंडा समेत कई जिलों के 66 वरिष्ठ पीसीएस अफसरों के तबादले भी हाल ही में हुए
जानकारों का कहना है कि हाल में हुई कुछ घटनाओं में यूपी पुलिस की गतिविधियों की वजह से सरकार की साख पर बट्टा लगा है। यूपी में बीजेपी सरकार बनने के कुछ दिन बाद ही लखनऊ के गोमतीनगर विस्तार इलाके में एक सिपाही द्वारा एप्पल कंपनी के एरिया मैनेजर विवेक तिवारी की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। पुलिस अधिकारियों ने उस घटना से कोई सबक न लेते हुए मनमानियों पर लगाम नहीं लगाई जिसकी वजह से एक के बाद एक घटनाएं सरकार के लिए मुश्किलें खड़ी करती रहीं। बीते दिनों गोरखपुर में रामगढ़ताल थाने की पुलिस पर होटल में ठहरे मनीष गुप्ता को पीट-पीटकर मार डालने का आरोप लगा। इसके बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए दागी, अनुशासनहीन और भ्रष्टाचारी पुलिसकर्मियों की सूची बनाने के निर्देश दिए थे। सीएम योगी के आदेश से पहले भी यूपी में तीन आईपीएस अफसर जबरन रिटायर किए जा चुके हैं।