इलाहाबाद: जब कभी भी दुष्कर्म या रेप जैसी घटनाएं सामने आती हैं तो इससे एक पूरे समाज का सर झुक जाता है। यह घटनाएं यह दर्शाती हैं कि कहीं ना कहीं आज भी समाज में हवस और हैवानियत लोगों को अपना निशाना बनाए रहती है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि घर में आने जाने वाले अधेड़ व्यक्ति द्वारा नाबालिग लड़की का अपहरण कर दुष्कर्म की घटना समाज में भरोसा और विश्वास कम कर नुकसान बचाने वाले हैं। दुराचारी ने ना केवल व्यक्तिगत अखंडता का हनन किया वरन पूरे परिवार की आत्मा को आघात पहुंचाया है। पीड़िता अपराध में सहभागी नहीं होती बल्कि कामुक वासना का शिकार होती है। केस का विचारण चल रहा है। ऐसे में उसके बयानों पर ध्यान देना ठीक नहीं है।
ज़मानत देने योग्य नहीं है ऐसा शख्स। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िता ही नहीं पूरे समाज के विरुद्ध अपराध है। कोर्ट को वैदिक पैरामीटर में इसका जवाब देना चाहिए। कोर्ट ने परिवार में आने जाने वाले अधेड़ द्वारा नाबालिग लड़की का अपहरण करने के बाद एक माह तक जबरन साथ रखकर शोषण करने की घटना को गंभीरता से लेते हुए आरोपी को जमानत पर रिहा करने से इनकार कर दिया है। साथ ही उसकी जमानत अर्जी खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह ने जाफरगंज फतेहपुर के भूतनाथ की अर्जी पर दिया है।
पीड़ित के पिता ने 1 जून 2019 को शाम 4:00 बजे शौच के लिए गई नाबालिग लड़की के वापस नहीं आने पर अपहरण की एफ आई आर दर्ज कराई थी पुलिस ने 1 माह बाद गुजरात के जामनगर से आरोपित व्यक्ति के साथ पीड़ित लड़की को बरामद किया।लड़की द्वारा पुलिस व कोर्ट में दिए बयान में भिन्नता को लेकर याची ने प्रेम संबंध के आधार पर जमानत पर रिहा करने की मांग की। लड़की ने पुलिस से कहा उसे जबरन ले जाया गया और दुष्कर्म किया। मजिस्ट्रेट के सामने कहा कि दवा देकर बेहोशी की हालत में ले गए और दुष्कर्म किया। याची का परिवार में आना जाना था। सहमति से उनका संबंध बना।
मेडिकल जांच रिपोर्ट में पीड़िता को लगभग 18 साल बताया गया है जबकि आधार कार्ड के अनुसार वह नाबालिग है इसलिए अपराध नहीं बनता। जब तक केस चल रहा है जमानत पर रिहा किया जाए। वह पांच जुलाई 2019 से जेल में बंद हैं। हाई कोर्ट ने कहा अपहरण कर दुष्कर्म किया गया। आरोपित की आयु 50 साल यानी पीड़िता के बाबा के उम्र की तरह है। ऐसी घटना परिवार का भरोसा व विश्वास कम करती है।