राम जनम यादव की रिपोर्ट
विसंवा सीतापुर : केंद्र सरकार ने मोटर व्हीकल एक्ट के तहत होने वाले चालानों के जुर्माने में बेतहाशा वृद्धि की अब प्रदेश सरकार यातायात माह चला कर जमकर वसूली कर आ रही है। लॉकडाउन, आर्थिक मंदी और महंगाई की मार झेलते आम मोटर वाहन चालक का जब हजारों रुपए का चालान होता है तो वह कराह उठता है। केंद्र सरकार की जुर्माने की वृद्धि की बानगी तो देखिए, जिस हेलमेट को न लगाने पर पहले 100से ₹200 का जुर्माना होता था अब उसी हेलमेट के न होने पर ₹1000 का जुर्माना अदा करना पड़ता है इसी तरह बीमा, रजिस्ट्रेशन, प्रदूषण सहित अन्य कागजात न होने पर जुर्माने की राशि बुरी तरह बढ़ा दी गई है आलम यह है कि यदि आपने सेकंड हैंड मोटरसाइकिल खरीदी है और कई धाराओं में एक साथ चालान हो जाए तो हो सकता है कि जुर्माने की राशि आपकी मोटरसाइकिल की कीमत से ज्यादा बैठ जाये। एक तरफ माननीय सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि हम उदारवादी लोकतंत्र में रहते हैं और दूसरी तरफ पूरी निष्ठुरता के साथ बढ़ाए गए जुर्माने पर कोई बोलने वाला नहीं है।
हमारे शहर बिसवां में भी इन दिनों पूरी तत्परता के साथ यातायात माह मनाया जा रहा है। चोरी की रिपोर्ट लिखने और खुलासा करने में फिसड्डी रहने वाली बिसवां पुलिस इन दिनों पूरी लगन के साथ वाहनों का चालान करके अपनी पीठ थपथपा रही है। दीपावली में पड़ने वाले त्योहारों की श्रंखला की रस्मों को पूरा करने में जब आम आदमी का दिवाला निकला जा रहा था तब बिसवां पुलिस शहर के हर चौराहे पर पूरी मुस्तैदी के साथ लोगों की गाड़ियों के चालान कर रही थी, चालान कर रही पुलिस फोर्स की संख्या को दूर से देखने पर ऐसा लगता था जैसे यह चालान काटने के लिए नहीं किसी आतंकवादी को पकड़ने के लिए खड़ी हो। बिसवां रोडवेज बस स्टैंड के करीब स्थित लहरपुर, सीतापुर, बिसवां तिराहे पर 15 से 20 पुलिसकर्मी त्योहारों की पूरी श्रृंखला भर चालान काटते रहे। सबसे खास बात तो यह है कि जिस पुलिस के जवान तिराहे पर हेलमेट न होने पर 1000 का चालान काटे थे उसी पुलिस के जवान पूरे बिसवां में बिना हेलमेट के टहलते थे लेकिन बोले कौन? सुनने में तो यह भी आया है कि चालान के मामलों में बिसवां पुलिस एक दिन जिले के 26 थानों में टॉप पर रही।
प्रत्येक जिले में करोड़ों का टारगेट देकर चालान कटवाने वाली सरकार को न तो जनहितकारी सरकार कहा जा सकता है और न ही जुर्माने की राशि में बेतहाशा वृद्धि करके लोगों की जेब से जबरदस्ती पैसा निकालने वाले लोकतंत्र को उदारवादी लोकतंत्र ही कहा जा सकता है। यह यातायात माह नहीं चालान उद्योग है जिसके सहारे सरकार अपना खजाना भर रही है और आम मोटर वाहन मालिक खुलकर लूटा जा रहा है न पक्ष दिखाई पड़ रहा है न ही विपक्ष ऐसा लग रहा है जैसे हम एकतंत्रीय शासन व्यवस्था में जीने के आदि बनाए जा रहे हों। (आनन्द कुमार मेहरोत्रा एडवोकेट)