राम जनम यादव की रिपोर्ट
डलमऊ रायबरेली जनपद की धार्मिक व पावन नगरी है।यह युग प्रवर्तक कवि सूर्यकांत त्रिपाठी निराला जी की कर्मभूमि भी रही है।यहाँ पर अनेकों कलम के धनी महान विभूतियों ने जन्म लिया।जिन्होंने अपने कलम की ताकत से देश ही नही अपितु विदेशों में भी जनपद व क्षेत्र का नाम रोशन करते हुए अपने कलम की ताकत का लोहा मनवाया तथा क्षेत्र के नाम का परचम चहुँओर लहराया।परन्तु आज के समय के दौर की परिपाटी में देखा जाये तो आज धन्य पतित पावनी नगरी डलमऊ में पत्रकारिता का स्तर कुछ पत्रकारों व कुछ तथाकथित पत्रकारों की वजह से खाकी की चाटूकारिता में तब्दील हो गया है।खाकी की चाटूकारिता में मशगूल हो कर यह चंद लोग पवित्र पत्रकारिता की मर्यादा को भूलकर पत्रकारिता से पथ भ्रमित हो कर इसको तार तार कर रहे हैं।शायद यह लोग यह भूल गए हैं कि पत्रकार का यह धर्म होता है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह जो कोई भी हो और कितना ही महत्वाकांक्षी क्यों न हो अगर वह कोई भी ऐसा कार्य करता है जो कि अनुचित हो तो उसे अपने अखबार य संचार के माध्यम से प्रसारित करते हुए जनता, शासन-प्रशासन,सरकार के सामने उसी प्रत्यक्ष रूप मे लाना चाहिए। चाहे अमुक व्यक्ति से आप के सम्बंध कितने ही प्रगाढ़ क्यों न हों।
बताते चलें कि आजकल रायबरेली जनपद की डलमऊ तहसील में कुछ ऐसे पत्रकारों का अभ्युदय हो गया है जिनका एक मात्र ध्येय सिर्फ और सिर्फ खाकी की गलतियों व उसके अनुचित कार्यों में पर्दा डाल कर अपनी चाटूकारिता भरी खबरों को छापकर खाकी की चरण वन्दना करना भर रह गया है।
जनता व समाज के बीच अपने नैतिक मूल दायित्वों को दरकिनार करते हुए डलमऊ के इन चाटुकार पत्रकारों की लॉबी पत्रकारिता के धर्म अपने मूल सिद्धांतों, आत्म सम्मान,जनता व समाज के हितों को दरकिनार करके पुलिस की चरणवन्दित खबर प्रसारित करके चाटूकारिता की घिनौनी मलाई खाना है। इन चाटुकार गैंग के पत्रकारों का एक ही उद्देश्य रहता है कि साहब व उनके मातहतों के अनुचित कार्यों का पर्दाफाश न हो। इसलिए डलमऊ के अन्य सभी सच्चे व ईमानदार, कर्मठ,सर्वप्रथम जनता जनार्दन की समस्याओं को सर्वप्रथम उठाने वाले पत्रकारों की पुलिस विभाग की अनुचित कार्यों की कार्यशैली व उसका पर्दाफ़ाश करने वाली प्रसारित खबरों का खंडन करना इनकी फितरत हो चुकी है। सच्ची खबरों का खंडन करके यह चाटुकार लॉबी पुलिस विभाग के साहब की कृपा दृष्टि प्राप्त कर लेती है जिससे इनको थाने के प्रकरणों की दलाली का मौका मिल जाता है।और चाटूकारिता की घिनौनी मलाई चाटने का अवसर मिल जाता है। साहब भी इन पालतू चाटुकार लॉबी को ढाल बनाकर बड़े बड़े मामलों को छुपाने में कामयाब हो जाते हैं।इन चाटुकार लॉबी के पत्रकारों की चाटुकारिता की पराकाष्ठा तो तब हो जाती है जब डलमऊ के अन्य सभी सच्चे व ईमानदार पत्रकारों की पुलिस विभाग की अनुचित कार्यों की खबर प्रकाशित होती है तो डलमऊ के चाटुकार लॉबी के पत्रकारों द्वारा वह अनुचित खबर इनके अखबारों या संस्थानों में प्रकाशित होती ही नहीं तथा अगले ही दिन इनके अखबारों व संस्थानों में पुलिस की तारीफ में कसीदे पढ़ने वाली चाटुकारिता से लबालब खबर प्रसारित की जाती है।यानी कि सच्ची खबरों का खंडन इन चाटुकार लॉबी के द्वारा कर दिया जाता है।
मै यह लेख पढ़ने वाले आप सभी पाठकों को सच बताऊँ तो यह लेख मै अपनी बिरादरी के खिलाफ लिखने की कोई चेष्टा नही कर रहा था परंतु फिर मैंने सोचा कि शायद यह पढ़कर ही इन पथ भृमित पत्रकारों को अपने कर्तव्यों का बोध हो जाये और वह एक बार फिर से अपने पत्रकारिता धर्म का सच्चाई व ईमानदारी से पालन कर सकें।मुझे यह ज्ञात है कि इस समय यह पथ भ्रमित साथी इस लेख को पढ़ रहे हैं।तो इसलिए मैं इनसे यह कहना चाहता हूँ कि साथियों सिर्फ सच्चाई का साथ दें और ईमानदारी से अपने दायित्वों का निर्वहन करें। और यह सोचें कि इस जगत में हम क्या लेकर आये थे और क्या लेकर जाएंगे हाँ एक बात जरूर है कि अच्छे कर्म करेंगे तो लोग पीढ़ियों तक याद करेंगे क्योंकि मनुष्य की असली कमाई तो उसके अच्छे कर्म ही होते हैं और कर्म ही मनुष्य की पहचान है जिन्हें लोग सदियों तक याद रखते हैं।
खबर सूत्रों के हवाले से… राम जनम यादव