आशीष कुमार की रिपोर्ट
रायबरेली । आज एक बार फिर एक ऐसा नजारा रायबरेली में देखने को मिला जब छोटे-छोटे से मासूम बच्चे व महिला के साथ आधा दर्जन लोगों का काफिला लखनऊ से छतीसगढ़ जाने के लिए पैदल ही चल दिया और आज ये शहर में पहुचकर आराम करने के लिए बैठ गए। देश मे लगातार चल रहे लॉक डाउन ने दूसरे प्रदेश में कमाने गए श्रमिको मौजूदा समय मे फंस गए है और लंबा समय गुजर जाने के बाद भी समस्या का हल न निकलते देख अब अपने घर जाने का प्रयास कर रहे है।सरकार भी इनको घर पहुचाने का प्रयास कर रही है लेकिन अब भी कुछ ऐसे लोग है जो पैदल ही सैकड़ो किमी के सफर पर निकल पड़े है।
तीसरे चरण में भी दूसरे प्रदेशों से आ रहे मजदूर पैदल ही चलने पर है मजबूर
मासूम बच्ची को गोद मे लेकर बैठी ये महिला अपने पति व कुछ साथियों के छत्तीसगढ़ से रोजी रोटी के चलते राजधानी लखनऊ आई थी।इसका पति अमित मकान बनाने का काम करता है और इसे काम भी मिल गया सबकुछ अच्छा चल रहा था कि अचानक से कोरोना आ गया और उसने इनका चैन सुकून छीन लिया।इस महामारी के संक्रमण को रोकने के लिए लॉक डाउन घोषित कर दिया गया।ये मजबूर ये सोचते रहे कि इसके बाद सब ठीक हो जाएगा।इनके मालिक ने भी इनको राशन पानी देकर इन्हें रोके रखा।लेकिन जब लॉक डाउन लगातार बढ़ता ही गया तो मालिक ने भी इन्हें दो टूक जवाब दे दिया। इनके खुद के बचाये पैसे भी खत्म हो गए।आखिरकार इन्होंने पैदल ही घर जाने का निर्णय लिया और सैकड़ो किलोमीटर के सफर पर निकल पड़े।गुरुवार को जब ये शहर में पहुचे तो थकान के मारे सड़क किनारे बैठकर आराम करने लगे।कुछ जिम्मेदारों ने इन्हें ये आश्वासन जरूर दिया कि आपके सफर के लिए व्यवस्था की जाएगी लेकिन ये तो आने वाला समय ही बताएगा कि उनके आश्वासन में कितना दम था।महिला श्रमिक सुरभि ने बताया कि पास में पैसा नही है।कुछ मिल गया तो खा लेते हैं। रास्ते मे किसी तरह की कोई मदद नही मिली।श्रमिक दिलीप ने बताया कि एक साहब ने व्यवस्था करने के लिए बोला है उन्ही का इंतजार कर रहे है नही तो पैदल ही जायेंगे।