गौरव शुक्ला की रिपोर्ट
फर्रुखाबाद
पंचायत चुनाव होने के बाद अब किसान गेंहूं बेचने को क्रय केंद्रों पर पहुंचने लगे हैं। लेकिन अफसर कोरोना में व्यस्त हैं और किसान गेंहूं बेचने को खरीद केंद्रों पर पस्त हो रहे हैं। क्रय केंद्रों पर अव्यबस्था हावी है। इसके साथ जिला मुख्यालय से दूर क्रय केंद्रों पर बिचौलिए हावी हैं। किसान गेंहूं बेचने को सातनपुर मंडी के क्रय केंद्रों तक की दौड़ लगाने को मजबूर हो रहे हैं। एक अप्रैल से गेहूं की सरकारी खरीद शुरु की गई है। लेकिन अभी तक खरीद केंद्रों पर न के बराबर गेहूं की खरीद की जा सकी है। देखा गया है कि पंचायत चुनाव और कोरोना संक्रमण के चलते गेहूं खरीद धीमी गति से हुई है। अभी तक गेहूं लेकर किसान भी नही निकल रहे थे। लेकिन क्रय केंद्रों पर किसानों को टरकाया जा रहा है। देखा गया कि कई केंद्रों पर बिचौलिए लगे हंै। जब यहां किसान पहुंचते है तो उनका गेहूं सरकारी भाव से कम भाव पर खरीद लिया जाता है और यही गेहूं कुछ ही देर में क्रय केंद्रों पर सरकारी भाव पर तुल जाता है। ऐसे में किसान दूर दराज के क्रय केंद्रों से सातनपुर मंडी के गेहूं खरीद केंद्रों पर गेहूं बेचने को पहुंच रहे हैं। किसान बताते हैं कि उनकी वहां कोई सुनने वाला नहीं है। इसलिए वह कई किलोमीटर से सातनपुर गेहूं बेचने को आ रहे हैं। देखा गया है कि अफसर इस समय कोरोना संक्रमण को लेकर कोविड नियमों के पालन को लगाने में लगे हुए हैं और सरकारी गेहूं खरीद केंद्रों पर अभी तक अफसरों का निरीक्षण नहीं हो सका है। इसलिए सरकारी क्रय केंद्रों पर प्रभारी मनमानी पर उतारू हैं। सातनपुर मंडी में पहुंचने वाले किसान बड़ी मात्रा में राजेपुर क्षेत्र के पहुंच रहे हैं। किसान बताते हैं कि अगर उनका गेहूं सही समय और सही दाम पर उन्हीं सरकारी केंद्रों पर ले लिया जाए तो वह इतनी दूर दौड़ लगाने को मजबूर क्यों हो। कई किसान बताते हैं कि राजेपुर के खरीद केंद्रों पर इतनी मनमानी हावी है कि सरकारी दाम से कम पर खरीद की जा रही है। लेकिन इसके बाद भी इन पर कोई अंकुश नहीं लग रहा है।