प्रधान संपादक की रिपोर्ट
लखनऊ-नगरीय चुनाव ओबीसी आरक्षण के बिना कराने को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले पर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो गई है,हाई कोर्ट के इस फैसले को लेकर प्रदेश के विपक्षी दल बीजेपी सरकार पर जमकर हमलावर हैं।
उन्होंने एक चैनल से बातचीत में कहा कि कोर्ट का जो आदेश आया है, उस पर कानूनी सलाह लेंगे और उसके बाद आगे क्या करना है, उस पर विचार करेंगे,डिप्टी सीएम ने कहा कि ‘मैं इतना जरूर कहना चाहता हूं कि यूपी में निकाय चुनाव बिना ओबीसी आरक्षण के नहीं होंगे,समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता राम गोपाल यादव के एक बयान पर हमला बोलते हुए उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राम गोपाल यादव बताए कि जब उनके भतीजे की सरकार थी तब कितना आरक्षण देकर उन्होंने कितने चुनाव कराए थे. उनके राज में नौकरियों में सिर्फ एक जाति पर विशेष ध्यान दिया जाता था। बता दें कि राम गोपाल यादव ने ट्वीट कर बिना नाम लिए केशव मौर्य पर कोर्ट के इस फैसले को लेकर निशाना साधा था।
उन्होंने कहा था कि निकाय चुनावों में ओबीसी का आरक्षण खत्म करने का फैसला दुर्भाग्यपूर्ण. उत्तर प्रदेश सरकार की साजिश. तथ्य न्यायालय के समक्ष जानबूझकर प्रस्तुत नहीं किए.उत्तर प्रदेश की साठ फीसदी आबादी को आरक्षण से वंचित किया. ओबीसी मंत्रियों के मुंह पर ताले. मौर्य की स्थिति बंधुआ मजदूर जैसी बता दें कि कोर्ट ने बिना ओबीसी आरक्षण के चुनाव कराने का आदेश दिया है. यानी कोर्ट ने सरकार के द्वारा जारी निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को रद्द कर दिया है. अब ओबीसी के लिए आरक्षित सभी सीटें अब जनरल मानी जाएंगी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपी सरकार के द्वारा जारी की गई ओबीसी आरक्षण सूची को रद्द कर दिया है. कोर्ट ने कहा है कि ओबीसी को आरक्षण देने के लिए एक डेडिकेटेड कमीशन बनाया जाए, तभी दिया जा सकेगा ओबीसी आरक्षण,कोर्ट ने निर्देश देते हुए कहा कि सरकार ट्रिपल टी फॉर्मूला अपनाए, इसमें समय लग सकता है. ऐसे में अगर सरकार और निर्वाचन आयोग चाहे तो बिना ओबीसी आरक्षण के ही तुरंत चुनाव करवाया जा सकता है,कोर्ट के इस आदेश के बाद अब प्रदेश में किसी भी तरह का ओबीसी आरक्षण नहीं रह गया है,यानी सरकार द्वारा जारी किया गया ओबीसी आरक्षण नोटिफिकेशन रद्द हो गया है। अगर सरकार या निर्वाचन आयोग अभी चुनाव कराता है तो ओबीसी के लिए आरक्षित सीटों को जनरल मानकर चुनाव होगा. वहीं दूसरी तरफ एससी-एसटी के लिए आरक्षित सीटें यथावत रहेंगी, इसमें कोई बदलाव नहीं होगा।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार ‘ट्रिपल टेस्ट फॉर्मूले’ के बिना सरकार द्वारा तैयार किए गए ओबीसी आरक्षण के मसौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिकाओं पर उच्च न्यायालय का यह फैसला आया।