शशांक तिवारी की रिपोर्ट
लखनऊ-अभी लखनऊ की किसी भी सीट पर भाजपा ने अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है। जबकि सपा ने नौ विधानसभा सीटों में से मोहनलालगंज व मलिहाबाद से अपना प्रत्याशी घोषित कर दिया है। हालांकि कैंट के बाद सबसे चर्चित सीट सरोजनीनगर से सपा ने भी अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं। वहीं बसपा ने सभी नौ सीटों पर और कांग्रेस ने भी कई सीटों पर अपने प्रत्याशियों का एलान कर दिया है। मंत्री स्वाती सिंह की सीट होने के चलते सरोजनीनगर पर भाजपा और सपा के उम्मीदवारों के नाम को लेकर हर किसी की निगाहें टिकी हैं।
बीजेपी के सिटिंग एमएलए स्वाती सिंह की टिकट कटने और दूसरे प्रत्याशी के चुनाव मैदान में आने को लेकर भी चर्चाओं का बाजार गर्म है। दिलचस्प बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी से टिकट को लेकर पति-पत्नी मंत्री स्वाती सिंह और दयाशंकर सिंह दोनों आमने-सामने हैं। अभी कुछ दिन पहले स्वाती सिंह का एक आडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें उन्होंने अपने पति दयाशंकर पर कई तरह के आरोप लगाए थे।
अब तक इस सीट से भाजपा और सपा की और से उम्मीदवारों के नाम घोषित न होने से टिकट के दावेदारों और उनके समर्थकों में बेचैनी है। यह सवाल हो रहा है कि आखिर राजनैतिक दल कब तक अपने पत्ते खोलेंगे। सरोजनीनगर विधान सभा में कांग्रेस ने रुद्र दमन सिंह को प्रत्याशी बनाए जाने पर पार्टी के अंदर बगावत भी चल पड़ी है। खुद को प्रबल दावेदार मानने वाली कांग्रेस की पोस्टर गर्ल प्रियंका मौर्या ने टिकट न मिलने से नाराज होकर भाजपा का दामन थाम लिया। वही लंबे समय से पार्टी में जुड़े सुनील दुबे को भी मायूसी हाथ लगी तो उन्होंने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया। वहीं भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी में टिकट फाइनल होने को लेकर जितना लंबा मामला खिंच रहा है उतनी ही बेचैनी दावेदारों के समर्थकों में बढ़ रही है।
सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र से बसपा ने युवा प्रत्याशी व मुस्लिम चेहरा जलीस खान को पार्टी से टिकट देकर मैदान में उतार कर मुकाबला और दिलचस्प कर दिया है, सरोजनीनगर विधानसभा सीट के लिए भारतीय जनता पार्टी से वर्तमान विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री स्वाति सिंह के विरुद्ध उनके ही पति दयाशंकर सिंह जो भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष भी हैं ने प्रबल दावेदारी ठोक रखी है। सोशल मीडिया पर दयाशंकर के सरोजनी नगर विधानसभा सीट से टिकट फाइनल होने की खबरें भी प्रसारित हो रही हैं। ऐसी खबरों से दयाशंकर के समर्थकों में खुशी की लहर भी है, लेकिन भाजपा हाईकमान ने कोई भी सूची जारी नहीं की है। फिलहाल पति-पत्नी दोनों ही टिकट की रेस में हैं, लेकिन टिकट फाइनल न होने से दोनों ही नेता परेशान घूम रहे हैं।
चर्चित सीट बन गयी है,सरोजनीनगर विधानसभा
सरोजनीनगर विधानसभा की सीट यूपी की चर्चित सीटों में आती है। वर्तमान में स्वाति सिंह यहां से विधायक और प्रदेश सरकार में महिला एवं बाल विकास पुष्टाहार मंत्री भी हैं। अब एक बार फिर सत्ता के निर्णय का समय नजदीक है। इस बार कौन सत्ता के शिखर पर पहुंचेगा ये तो जनता चुनाव में तय करेगी। 2017 के चुनाव में तो मोदी लहर में कई नए चेहरे विधायक बने। इसमें सरोजनी नगर विधानसभा से स्वाति सिंह पहली बार विधानसभा पहुंची और मंत्री भी बनीं। इस चुनाव में स्वाति सिंह ने सपा के अनुराग यादव को 34179 वोट से हराया था। 2012 में यह सीट सपा के कब्जे में थी। तब सपा के शारदा प्रताप शुक्ल और बसपा के शिवशंकर सिंह के बीच कांटे की टक्कर हुई थी। इसमें शिवशंकर सिंह 8365 वोट से चुनाव हार गए थे। इस सीट पर पहली बार चुनाव 1967 में हुआ था। जिसमे कांग्रेस के विजय कुमार विधायक चुने गए थे। 1969 में यह सीट कांग्रेस के खाते में आई और चन्द्रभानु गुप्ता विधायक बने। 1974 में विजय कुमार कांग्रेस के टिकट पर दोबारा विधानसभा पहुंचे। 1977 में जनता पार्टी के टिकट पर छेदा सिंह चौहान विधायक बने। वहीं 1980 में कांग्रेस के टिकट पर विजय कुमार तीसरी बार विधायक बने।1985 में शारदा प्रताप शुक्ल यहां से निर्दलीय विधानसभा पहुंचे। इसके बाद 1989 में जनता दल के टिकट पर शारदा प्रताप शुक्ला दूसरी बार विधायक बने।1991 में कांग्रेस के विजय कुमार इस सीट पर काबिज हुए
सपा भी जीत चुकी है, सरोजनी नगर सीट
विधानसभा सीट पर 1993 में पहली बार समाजवादी पार्टी इस सीट पर जीत हांसिल की और सरोजनी नगर के ही गौरी गांव में रहने वाले श्याम किशोर यादव विधायक बने। वहीं 1996 के चुनाव में भी श्यामकिशोर ने अपनी जीत कायम रखी थी।
2002 में बसपा ने की थी जीत हांसिल
2002 तक सपा का जनाधार खिसका और यह सीट सपा के हाथ से निकलकर बसपा के पाले में चली गयी। इस सीट पर 2002 और 2007 में लगातार दो बार बसपा के मोहम्मद इरशाद विधायक बने। 2012 में सपा से शारदा प्रताप शुक्ला ने फिर वापसी की। वहीं 2017 में स्वाति सिंह ने भाजपा के सिम्बल पर चुनाव लड़ा और विधायक बनीं।