ब्यूरो रिपोर्ट पीलीभीत
उत्तर प्रदेश में पीलीभीत से बीजेपी सांसद वरुण गांधी के कांग्रेस में जाने की अटकलें थमने का नाम ही नहीं ले रही है। वहीं भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कांग्रेस सांसद राहुल गांधी के बयान के बाद ये चर्चाएं और भी तेज हो गई थीं। जिसके बाद कई तरह के कयास भी लगाए गए हैं। हालांकि इन सब कयासों के बीच बीजेपी सांसद की मां मेनका गांधी का रुख काफी अहम हो चुका है। बता दें मेनका गांधी साल 2004 में बीजेपी में जुड़ी थीं और जिसके बाद बेटे वरुण गांधी ने भी बीजेपी का दामन थामा था वहीं वरुण गांधी ने साल 2009 में लोकसभा का पहला चुनाव लड़ा और खास बात ये है कि वरुण गांधी का चुनावी मैदान हमेशा से मेनका गांधी की कार्यस्थली ही रही है। जब 2009 में वरुण गांधी पीलीभीत से चुनाव लड़े तो उससे पहले वहां मेनका गांधी सांसद हुआ करती थीं और तब 2009 में उन्हें सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया गया था।
2014 और 2019 में क्या हुआ?
इस कड़ी में 2014 के लोकसभा चुनाव में एक बार मां मेनका गांधी की कार्यस्थली वरुण गांधी को मिली और इस बार उन्हें सुल्तानपुर से चुनाव लड़ाया गया, तब मेनका गांधी को पीलीभीत से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया था वहीं इस चुनाव में भी दोनों ने जीत दर्ज की है। साथ ही 2019 के लोकसभा चुनाव में भी पुरानी कहानी एक बार फिर दोहराई गई थी और तब वरुण गांधी को फिर से पीलीभीत से उम्मीदवार बनाया गया और मेनका गांधी को सुल्तानपुर से उम्मीदवार बनाया गया था। ऐसे में देखा जाए तो वरुण गांधी का पूरा राजनीतिक करियर मां मेनका गांधी की कार्यस्थली ही रही है और इस वजह से वरुण गांधी के बीजेपी छोड़ कर किसी अन्य राजनीतिक दल में शामिल होने में मां मेनका गांधी का रुख भी अहम होगा। हालांकि इन तमाम अटकलों के बीच अभी तक बीजेपी सांसद मेनका गांधी पूरी तरह से मौन हैं और इसकी खास वजह है कि मेनका गांधी शायद ही किसी और दल का रुख कर सकें।