चंदन चौहान अपने परिवार में तीसरी पीढ़ी के नेता हैं। इससे पहले इनके पिता संजय चौहान और उनसे पहले नारायण सिंह जी ने जनता की सेवा कर राजनीति में बड़ा मुकाम हासिल किया। कहते हैं सियासत जुगाड़ से चलती है और यह जुगाड़ लगभग सभी दलों में है। कहा तो यह भी जाता है कि जब ये इतने अच्छे नेता हैं, तो यह अपने घर से चुनाव क्यों नहीं लड़ते? 2017 में अवतार सिंह भड़ाना भी उसी जुगाड़ के चलते मीरापुर में आ टपके थे। 5 साल जनता को शक्ल नहीं दिखाई। अपनी निधि जरूर खर्च करते रहे। जनता 2022 में उन्हें सबक सिखाती, इससे पहले ही उन्होंने पार्टी बदली और सीट भी। इनदिनों वह जेवर से रालोद के सिंबल पर चुनाव मैदान में हैं। इसे दुर्भाग्य ही कहेंगे कि 5 साल दुर्गति झेलने के बाद भाजपा हाईकमान ने फिर से बाहरी प्रत्याशी प्रशांत चौधरी को मीरापुर से चुनाव में उतार दिया। अब जनता को फैसला लेना है कि बाहरी प्रत्याशी उनके दुःख दर्द में काम आएगा, या स्थानीय। वोट देने में कोई जल्दबाजी न करें।