लखनऊ । उत्तर प्रदेश में रोहिंग्या की घुसपैठ का खतरनाक चेहरा सामने आने लगा है। गहरी साजिश से भरे मंसूबे जाहिर होने लगे हैं। फर्जी दस्तावेज से अपनी पहचान बदलकर अब वे कई जिलों में जड़ें जमा चुके हैं। इससे जांच एजेंसियों के सामने आंतरिक सुरक्षा के लिए मुसीबत बनते रोहिंग्या को खोज निकालने की चुनौती आ खड़ी हुई है। बीते दिनों आतंकवाद निरोधक दस्ता (एटीएस) ने रोहिंग्या की छानबीन तेज की तो पहली बार छह जनवरी को पहचान बदलकर रह रहा अजीजुल हक संतकबीरगनर में हत्थे चढ़ा। फिर 28 फरवरी को अलीगढ़ व उन्नाव में पहचान बदलकर रह रहे रोहिंग्या भाई हसन व शाहिद पकड़े गए। इनके पकड़े जाने के बाद ही वह बड़ा खेल सामने आया, जिसके तहत ठीके पर रोहिंग्या को बांग्लादेश सीमा से घुसपैठ कराने से लेकर जिलों में ठिकाना दिलाने व फर्जी दस्तावेज के जरिए उनकी पहचान बदले जाने की बात सामने आ चुकी है।
इतना ही नहीं, सिंडीकेट के तहत रोहिंग्या से कमीशन लेकर उन्हें मीट कारखानों में काम दिलवाया जा रहा है। रोहिंग्या की हवाला नेटवर्क में भी पैठ जम चुकी है और वे हवाला के जरिए ही म्यांमार व बांग्लादेश में अपनों को रकम तक भेज रहे हैं। गिरफ्तार हसन के एक करीबी का कई राज्यों में नेटवर्क है। वह बंगाल, बिहार, दिल्ली, जम्मू-कश्मीर, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना व केरल में भ्रमण करता रहता है। एटीएस को इसकी तलाश है। सूबे में 1700 से अधिक रोहिंग्या के डेरा जमाने की बात सामने आई है। एटीएस जल्द कई अन्य रोहिंग्या की गिरफ्तारी भी कर सकती है। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार थोड़ा लालच देकर इन्हें आसानी से देश विरोधी गतिविधियों में इस्तेमाल किया जा सकता है।
अवैध ढंग से रिश्तेदारों को भी ला रहे : अजीजुल ने फर्जी दस्तावेज के जरिए अजीजुल्लाह के नाम से दो पासपोर्ट, आधारकार्ड व अन्य प्रपत्र बनवाए थे। 2017 में अजीजुल अवैध ढंग से अपनी मां-बहन व दो भाइयों को भी यहां ले आया था और उसने यहां शादी तक रचा ली थी। अजीजुल ने कई रोहिंग्या को अवैध ढंग से यूपी में लाने की बात स्वीकार की थी। उसके भाई मु.नूर व बहनोई नूर आलम की तलाश है, जबकि उसका मददगार अब्दुल मन्नान पकड़ा गया था। एटीएस ने अलीगढ़ में पहचान बदलकर रहे रहे रोहिंग्या हसन अहमद को पकड़ा तो और चौंकाने वाल तथ्य सामने आए। उनके पास से पांच लाख रुपये भी बरामद हुए। हसन भी यहां पहचान बदलकर अपना पासपोर्ट बनवा चुका था। हसन का भाई शाहिद नाम बदलकर उन्नाव में रह रहा था। हसन ने पहले संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी उच्चायुक्त कार्यालय (यूएनएचआरसी) में असली और फर्जी (फारुख) दोनों नाम से पंजीकरण कराया था। हसन ने अपनी मां हामीदा का नाम बदलकर मदीना खातून रखा और इसी नाम से उनका आधार कार्ड व अन्य दस्तोवज बनवाए। गिरोह बनाकर मानव तस्करी की जा रही थी। सूत्रों का कहना है कि इस नेटवर्क से जुड़े एक रोहिंग्या की तलाश है, जिनका नेटवर्क अन्य राज्यों में था और उसके खाते में करीब पांच करोड़ हैं। सूबे में रोहिंग्या के पूरा नेटवर्क व उनके मंसूबे पता लगाने के लिए कई स्तर पर छानबीन चल रही है।
पहचान बदलकर गए खाड़ी देश भी : उत्तर प्रदेश में जड़ें जमा चुके रोहिंग्या षड्यंत्र के तहत पहचान बदलकर रोजगार के लिए खाड़ी देशों का भी रुख कर रहे हैं। एटीएस के एक अधिकारी के अनुसार रोहिंग्या यहां आधार कार्ड व अन्य दस्तावेज हासिल कर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाते हैं। इसी आधार पर भारत का पासपोर्ट बनवा लेते हैैं। इसके बाद उन्हेंं खाड़ी देशों में नौकरी मिलना आसान हो जाता है।
पूरे नेटवर्क व मंसूबों की हो रही छानबीन : एडीजी, कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि यूपी में पहचान बदलकर रहे रोहिंग्या से पूछताछ में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। उनके पूरे नेटवर्क व मंसूबों की पूरी गहनता से छानबीन कराई जा रही है। पुलिस के हाथ कई अहम सुराग लगे हैं, जिनके आधार पर इस रोहिंग्या को ठीके पर सूबे में लाने वाले कुछ लोगों की तलाश कराई जा रही है।