सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
उन्होंने बताया कि इस काम में जोमैटो और स्विगी जैसी कंपनियां भी लगी हैं, जो पहले लोगों के घरों तक खाना पहुंचाया करती थीं. रेस्टोरेंट बंद होने की सूरत में इनके डिलीवरी ब्वॉय भी खाली थे. लिहाजा जिला प्रशासन ने इन्हें भी ग्रुप में शामिल कर लिया है. पहले स्विगी डिलीवरी के बदले में कुछ अमाउंट चार्ज करता था लेकिन उसे भी अब खत्म करा दिया गया है.
28 खाद्य सुरक्षा अधिकरियों की टीम रख रही नजर
मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने बताया कि सभी कंपनियों को उनका ऐप डिवेलप करा दिया गया है, जिसके जरिए वह डिमांड लेती हैं. 28 खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की टीम इन कंपनियों की विजिट भी करती है जिससे कि स्मूथ फंक्शनिंग में कोई प्रॉब्लम ना आए.
दूध- 16 अलग-अलग यूनिट या कंपनियां इसमे लगी हैं. इन सभी पर दूध के लिए आर्डर किया जा सकता है. इनमें पराग, आनंदा, मदर डेयरी, प्रयाग डेयरी, ज्ञान सहित तमाम कंपनियां हैं. अमूल का आर्डर उनके उनके डिस्ट्रीब्यूटर लेते हैं. इसके अलावा 68 छोटे बड़े सामान विक्रेता हैं, जिनको लोग ऑर्डर दे सकते है. स्मार्ट बनिए, बेस्ट प्राइस, मेट्रो, फैमिली बाजार, स्पेंसर, इजी डे, राउंड ओ क्लॉक, विशाल मेगा मार्ट और शॉप किराना जैसी कंपनियों सहित कुल 68 छोटे बड़े व्यापारिक संगठन लोगों को जरूरी सामान उनके घरों तक पहुंचा रहे हैं.
कुछ लोग डिलीवरी बॉय से बच रहे हैं
जहां एक तरफ हजारों की संख्या में लोग डिलीवरी बॉय के जरिए जरूरत का सामान अपने घरों तक मंगा रहे हैं, वहीं राजधानी लखनऊ में स्थानीय निवासियों का एक ऐसा तबका भी है, जो डिलीवरी ब्वॉय से सामान मंगाने के बजाय स्वयं मोहल्ले की दुकान से सामान लाना ज्यादा उचित समझ रहा है. गोमती नगर के विनीत खंड में बालाजी प्रोविजन चलाने वाले अरविंद ने बताया कि लोग उन्हें व्हाट्सएप पर पूछ लेते हैं कि कौन सा सामान स्टोर में मौजूद है? और कौन सा नहीं है? जो सामान स्टोर में मौजूद होता है वह स्वयं ही लेने के लिए आ जाते हैं. उनका कहना है कि डिलीवरी ब्वॉय के घर पर आने से उन्हें ज्यादा उचित यह लग रहा है कि वह स्टोर से ही सामान जाकर खुद ले ले. ऐसे लोगों के मन मे संदेह ये है कि डिलीवरी न जाने कितने लोगों के संपर्क में रोज आता होगा.