कमलेश चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ. उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बच्चे शब्दों के मुकाबले चित्र के जरिए ज्यादा आसानी से संवाद स्थापित करते हैं। यहां के बच्चों को खुशी, दुख, गुस्सा और डर के चार पिक्चर कार्ड दिखाकर भावों की पहचान करवाई गई तो औसतन 75 फीसदी से ज्यादा बच्चों ने खुशी को पहचान लिया। वहीं पैटर्न को पहचानने में 34.7 बच्चे आगे रहे। फोटो देख कर उसे बताने में भी 50 फीसदी से ज्यादा बच्चे सफल रहे। साथ ही बच्चों में भाषा, अंकों और अन्य चीजों के बीच समन्वय स्थापित करने की बात की जाए तो कक्षा 54 फीसदी बच्चे चीजें छांटने में सफल रहे। यह आंकड़े असर (एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट) 2019 के ‘अर्ली इयर’ सर्वे में सामने आये हैं।
41.1 प्रतिशत बच्चे अक्षर भी नहीं पढ़ सकते
लखनऊ के बच्चों ने अंक या भाषा के ज्ञान की बात करें तो कक्षा एक में पढ़ने वाले 41.1 प्रतिशत बच्चे अक्षर भी नहीं पढ़ सकते हैं। इस कक्षा के 32.9 फीसद बच्चे अक्षर तो पढ़ सकते हैं, लेकिन शब्द नहीं। वहीं कक्षा तीन के 23.6 फीसद बच्चे अक्षर पढ़ने में नाकाम हैं। कक्षा एक के 28.1 प्रतिशत बच्चे एक से नौ तक अंक नहीं पहचानते तो कक्षा तीन में ऐसे 6.7 फीसद बच्चे हैं। कक्षा तीन के 53.8 फीसद बच्चे ही 11 से 99 तक के अंकों को पहचान सकते हैं।
33 फीसदी बच्चे कहीं भी नामांकित नहीं
सर्वे में पाया गया कि लखनऊ में चार साल के 33 फीसदी बच्चे कहीं भी नामांकित नहीं या पढ़ाई छोड़ चुके हैं। चार वर्ष के ही महज 3.4 फीसदी बच्चे सरकारी सकूल में पढ़ रहे हैं, जबकि निजी प्री स्कूल में लोअर और अपर केजी में इस उम्र के 49.8 प्रतिशत बच्चे पंजीकृत हैं। सात वर्ष के 33.1 फीसद बच्चे सरकारी तो 42.3 फीसदी बच्चे निजी स्कूलों में पढ़ रहे हैं जबकि 20.5 फीसदी बच्चे निजी प्री स्कूल में नामांकित हैं। लखनऊ में कक्षा एक से तीन तक के 49.43 फीसद बच्चे ही सरकारी स्कूलों में जाते हैं, जबकि 51% बच्चे निजी स्कूलों में जाते हैं।
बेसिक शिक्षा विभाग की असल तस्वीर उजागर
असर की रिपोर्ट में प्रदेश के बेसिक शिक्षा की असल तस्वीर उजागर हुई है। यह रिपोर्ट 4 से 8 वर्ष तक के बच्चों पर किये सर्वे पर आधारित है। यह सर्वे पहली बार देश के 24 राज्यों के 26 जिलों में किया गया। उप्र के इस सर्वे में लखनऊ के 60 गांवों में 1207 घरों के 1449 बच्चों और वाराणसी के 1201 घरों के 1615 बच्चे शामिल किये गए हुए। सर्वे के मुताबिक 5 वर्ष के स्कूल न जाने वाले बच्चों को लेकर यूपी सबसे ऊपर है। लखनऊ में 9.8 और वाराणसी में 12.2 बच्चे स्कूल से बाहर हैं।
वाराणसी में भी बुरा हाल
वहीं बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी की करें तो कक्षा एक के 41.9 फीसद बच्चे अक्षर ज्ञान से दूर हैं तो कक्षा तीन में ऐसे बच्चे 16.8 प्रतिशत हैं। कक्षा एक के 31.5 फीसदी बच्चे सिर्फ अक्षर को पढ़ सकते हैं, उनसे बने शब्दों को नहीं तो कक्षा तीन में ऐसे 25.3 प्रतिशत बच्चे पाये गए हैं। वाराणसी में कक्षा एक के 31.2 फीसद बच्चे एक से नौ तक के अंक को नहीं पहचान सकते तो कक्षा तीन में सिर्फ 39.7 फीसद बच्चे ही एक से नौ तक के अंक को पहचानते हैं।