आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ । सीमैप किसान मेले से आज रिलीज हुई ‘सिम – उन्नति’ मेंथा की ज्यादा तेल पैदा देने वाली प्रजाति
विगत कई वर्षों की भांति इस वर्ष भी सीएसआईआर-केन्द्रीय औषधीय एवं सगंध पौधा संस्थान (सीएसआईआर-सीमैप) द्वारा लखनऊ स्थित कैम्पस में आज दिनांक 31 जनवरी 2020 को एक दिवसीय किसान मेले में देश के विभिन्न राज्यों से आये लगभग 5000 किसानों का जमावड़ा रहा। किसानों ने मेले में भाग लेकर औषधीय व सगंध पौधों की लाभकारी खेती के बारे में जानकारी ली और अपने अनुभव भी साझा किये। उधर वैज्ञानिकों की टीम ने किसानों को उन्नत खेती, क़िस्मों तथा प्रसंस्करण व विपणन की विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई।
किसान मेले के मुख्य समारोह में मुख्य अतिथि, माननीय प्रो. अनिल कुमार गुप्ता, संस्थापक, हनी बी नेटवर्क, सृष्टी, ज्ञान एवं नैशनल इनोवेशन फाउंडेशन थे तथा प्रो. रंजना अग्रवाल, निदेशक, सीएसआईआर-राष्ट्रीय विज्ञान, प्रौद्योगिकी और विकास अध्ययन संस्थान, नई दिल्ली, विशिष्ट अतिथि थीं।
विशिष्ट अतिथि प्रो. रंजना अग्रवाल ने अपने सम्बोधन में बताया कि सीएसआईआर-निस्टैड्स द्वारा अरोमा मिशन के इम्पैक्ट असेसमेंट के हमें यह जानकारी मिली है कि इस मिशन के द्वारा किसानों को लाभ मिला है, खासकर आदिवासी, तटीय तथा वर्षा आधारित खेती वाली जमीनों पर तो किसानो कि आय लगभग दोगुनी हो गयी है।
उन्होंने सीमैप के प्रयासों कि भूरी भूरी प्रसंशा भी की।
मुख्य अतिथि प्रो. अनिल गुप्ता अपने सम्बोधन में इस बात पर जोर दिया कि किसानों को स्वयं सहायता समूह स्थापित करने चाहिए और साथ ही साथ कृषि विविधिकरण पर भी ध्यान देना चाहिए। उन्होने जोर देकर कहा कि औषधीय एवं सगंध पौधों के कृषक न केवल खेती पर ध्यान दें बल्कि मूल्य संवर्धन पर भी ध्यान केंद्रित करें ताकि वे अपनी आय में कई गुना मुनाफा कर सकें।उन्होंने सीमैप से आग्रह किया कि वह आगामी किसान मेले पर किसानो के द्वारा मूल्य सवर्धन करके जो उत्पाद बनाये जाएँ उन्हें भी रिलीज़ किया जाये।
इसके पूर्व सीएसआईआर-सीमैप के निदेशक डॉ. अब्दुल समद ने अपने स्वागत भाषण में सीएसएरआर सीमैप द्वारा औषधीय एवं सगंध पौधों कि खेती के लिए किये जा रहे प्रयासों को बताया और साथ ही साथ सीएसआईआर-एरोमा मिशन के तहत देश भर में किए जा रहे कार्यों को उपस्थित जन मानस को बताया। डॉ. समद ने बताया कि इस वर्ष लखनऊ मुख्यालय से लगभग 500 क्विंटल अधिक उपज देने वाली मेन्था की प्रजाति की जड़ें (पौध सामग्री) के रूप में एरोमा मिशन के वित्तीय सहयोग से किसान मेले के अवसर पर उपलब्ध कराई जा रही है।
किसान मेले में ‘औस-ज्ञान्या’ अथवा उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में जिरेनियम की खेती से जुड़ी पत्रिकाओं का विमोचन किया गया। इस कार्यक्रम के दौरान मेंथॉल मिंट की उन्नत प्रजाति ‘सिम- उन्नति’ एवं तीन मूल्य वर्धित उत्पाद ‘सिमकेश हेयर ऑयल,सिम-मृदा शक्ति तथा सोरियासिम क्रीम को भी रिलीज किया गया।
कार्यक्रम के अंत में मुख्य अतिथि और विशिष्ट अतिथि का सम्मान डॉ. अब्दुल समद, निदेशक, सीमैप द्वारा स्मृति चिन्ह एवं शौल देकर किया गया। किसान मेला के संयोजक, डॉ. संजय कुमार ने कार्यक्रम का संचालन किया। इस अवसर पर मेले में किसानों के लिए एक परिचर्चा सत्र का भी आयोजन किया गया जिसमें वैज्ञानिक व उद्योगों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। किसानों द्वारा पूछे गए प्रश्नों का उत्तर विषय विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा दिया गया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि तथा विशिष्ट अतिथि ने सीएसआईआर एरोमा मिशन के प्रगतिशील किसानो से भी बातचीत की।
इस वर्ष किसान मेला में सीएसआईआर की 8 प्रयोगशालाएं, एफएफडीसी, एसएमपीबी तथा एनएमपीबी के द्वारा किसानों के लिए उपयोगी प्रौद्योगिकियों तथा योजनाओं का प्रदर्शन किया गया। मेला स्थल पर उद्योगों और स्वयं-सेवी संस्थाओं तथा महिला सशक्तिकरण योजना आदि के स्टॉल भी लगाए गए। मेले में जिरेनियम की पौध सामग्री के निर्माण के लिए एक विकसित किफ़ायती तकनीक, सीमैप के हर्बल उत्पाद, अगैती मिन्ट टेक्नोलोजी, इत्यादि के बारे में भी चर्चा की गई व प्रदर्शनी लगाई गई। कार्यक्रम में डॉ. विभा मल्होत्रा ने भी भाग लिया।