कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। थाना सरोजिनी नगर क्षेत्र के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र चन्द्रावल में डाक्टरों के समय में अस्पाताल न आने से सीरयस मरीज भगवान भरोसे रहते हैं यही नहीं अगर उन्हें कोई तकलीफ़ भी होती है तो कोई देखने वाला नहीं सबकुछ तो राम भरोसे हैं सरकार की मंशा के अनुरूप दवा के लिए बाहर का पर्चा नहीं लिखा जाना चाहिए लेकिन यंहा हर काम बाहर से करवाने को कहा जाता है यहां पोलियो की दवा मिलनी चाहिए किन्तु वह भी नहीं पिलाई जाती जबकी सरकार द्वारा करोड़ों रुपए का बजट दिया जाता है कि क्षेत्र में पोलियो मुक्त बनाया जाय तभी देश पोलियो मुक्त देश बन पायेगा। यही हाल मरीजों को दी जाने वाली दवाइयों को लेकर है कि उन्हें ज्यादा से ज्यादा बेहतर सेवा उपलब्ध कराई जाय किन्तु यहां सब उल्टा हो रहा है नहीं डाक्टर समय पर सही सेवाएं दे रहे हैं नहीं शासन की मंशा अनुरूप दवाएं दे रहे और तो और मरीजों से व्योहार भी इनका सही नहीं रहता एक समय था की डाक्टर वैद्य को लोग दूसरे भगवान का दर्जा देते थे लेकिन आज इनकी शून्य हो रही मानवीय भावनाओं को देखते हुए इन भगवान के रूप को लोग मौत के सौदागर कहने में हिचक महसूस नहीं करते। और इसके जिम्मेदार यही है।
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चन्द्राबल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में डाक्टर के रबये कुछ ठीक नहीं है स्टाफ की कमी बताकर सरकार के ऊपर ठीकरा फोड़ ने का प्रचलन बन गया।
लेकिन चन्द्राबल स्वास्थ्य केंद्र मेलगातार हो रही मनमानी के चलते डाक्टर की समय से न पहुंच पाने की मौजूदगी बताती है
की डॉक्टर लगातार देरी से पहुंचने की बजह से तीमारदारों की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है और पीड़ित परिवारों से डाक्टरों का व्यवहार भी ठीक नहीं है।
अब देखना है कि उत्तर प्रदेश सरकार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों के निरीक्षण के दौरान एवं ग्राम पंचायतों में लगातार हो रही लापरवाही छोटे बच्चों को पोलियों दवा नहीं पिलाई जाती
जबकि भारत सरकार व उत्तर प्रदेश सरकार करोड़ों का बजट
प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों को भेजने के बाबजूद डाक्टरों एवं कर्मचारियों की बजह तथा लापरवाही से सरकार का मखौल उड़ाने में लगे हैं