संदीप सिंह की रिपोर्ट
लगातार आर्थिक तरक्की कर रहे भारत में एक तरफ अरबपतियों की लम्बी कतार बनती जा रही है तो दूसरी ओर देश में ही एक तबका भीख मांग कर पेट भरने को मजबूर है.
लखनऊ। भिक्षावृत्ति आधुनिक होते भारत के माथे पर कलंक की तरह हैं। मंदिरों, मस्जिदों या किसी भी धार्मिक स्थल पर भिखारियों का जमवाड़ा लगा रहता है। दो जून की रोटी को तरसते देश के लाखों गरीब अस्पतालों, बस अडडों, चौराहों और अन्य सार्वजनिक स्थलों पर भिक्षावृत्ति को मजबूर हैं। कानूनी प्रावधानों के ज़रिये भिक्षावृत्ति पर रोक की कोशिशें अब तक असफल ही साबित हुई हैं। भिक्षावृति को कानूनन अपराध घोषित करने के बावजूद भिखारियों की तादाद कम नहीं हुई।
कुछ लोग अपने फायदे के लिए जबरन बच्चों से उनका बचपन छीन कर चौक-चौराहों पर भीख मंगवाते हैं। कोरोना काल में सड़कों पर भीख मांगने वाले इन बच्चों में इजाफा हुआ है।
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ को स्मार्ट सिटी बनाने की कवायद चल रही है लेकिन शहर के कई चौराहे पर कहानी ही कुछ अलग है। पुलिस की नाक के नीचे मासूमों का बचपन छीना जा रहा है। मासूमों से भीख मंगवाई जा रही है। हलांकि भीख मांगने का अंदाज थोड़ा बदल दिया गया है। यदि आप राजधानी लखनऊ में रहते हैं तो शायद ऐसा आपके साथ भी हुआ होगा। कार से दफ्तर या बाजार जाते समय जब गाड़ी रेल लाइट पर रुकती है तो अचानक छोटे-छोटे बच्चे हाथ मे कपड़ा लिए आपकी गाड़ी साफ करने लगते हैं। हजरतगंज के हलवासिया चौराहे से लेकर कपूरथला आईटी पुराना लखनऊ के चौक दुबग्गा समेत कई इलाकों में ये तस्वीरें आम है।
दरसल में बच्चे आम नही हैं औऱ न ही गाड़ी साफ करवाने के बहाने मेहनत करके आपसे पैसे मांग रहे। इनके पीछे भीख मंगवाने वाले गिरोह काम करते हैं जो बच्चों को आगे कर देते और बाद में उनसे जुटाए गए पैसे में हिस्सा बसूलते हैं। भीख मांगने में ही नही बल्कि बच्चों के अधिकार को लेकर देश की सबसे बड़ी अदालत भी कई बार गाइडलाइंस जारी कर चुकी है लेकिन न तो पुलिस न ही प्रशासन इस ओर ध्यान देता है।
बाल भिक्षावृत्ति जागरूकता अभियान के तहत शुक्रवार को महिला सहायता प्रकोष्ठ की टीम ने कस्बा गढ़ीपुख्ता पहुंचकर बाल भिखारियों के संबंध में डोर टू डोर सर्वे किया, हालांकि टीम को कस्बे में कोई भी बाल भिखारी नहीं मिला। टीम ने लोगों को जागरूक करते हुए बच्चों से भीख मंगवाने वालों की सूचना प्रशासन और पुलिस को देने की अपील की।
यूपी की योगी सरकार ने जनपद स्तर पर इन बाल भिक्षुओं को चिन्हित कर एक विशेष कार्य योजना लागू की है। इस योजना के तहत बाल भिक्षुओं को शिक्षा की दिशा में प्रेरित किया जाएगा और उनके माता-पिता को रोजगार देने दिया जाएगा। राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ. विशेष गुप्ता ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में बाल भिक्षावृत्ति रोकने व बाल भिक्षुओं को सबल बनाने के लिए इस विशेष अभियान को शुरू किया है।
प्रदेश में बाल भिक्षावृत्ति के संबंध में शासन को लगातार शिकायतें मिल रही थी, इसके बाद पुलिस महानिदेशक उत्तर प्रदेश, अपर पुलिस महानिदेशक, महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन ने शामली जिला प्रशासन को 26 दिसम्बर से 10 जनवरी तक बाल भिक्षावृत्ति जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए थे। शासन के निर्देशों के बाद एसपी शामली सुकीर्ति माधव ने महिला सहायता प्रकोष्ठ की टीम को जिले में डोर टू डोर सर्वे कर बाल भिक्षावृत्ति के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाने के निर्देश दिए। शुक्रवार को महिला सहायता प्रकोष्ठ की मुख्य आरक्षी आशा, आरक्षी दीपा बालियान, प्रीति रानी, काजल व पवन कुमार की टीम ने कस्बा गढ़ीपुख्ता पहुंचकर अभियान चलाया।