कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ– सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रदीप सिंह ने लखीमपुर खीरी के निघासन थाना परिसर में हुए सोनम हत्याकांड मामले में दो पुलिसकर्मियों को दोषी करार दिया और दो अन्य पुलिसकर्मियों को बरी कर दिया। अदालत ने कांस्टेबल अतीक अहमद को हत्या और साक्ष्य मिटाने के मामले में भादंसं की धारा 302 और 201 तथा तत्कालीन क्षेत्राधिकारी इनायत उल्ला खां को साक्ष्य मिटाने के मामले में भादंसं की धारा 201 के तहत दोषी करार दिया है। इसने इस मामले के दो अन्य आरोपी कांस्टेबलों-शिवकुमार और उमाशंकर को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया।
अदालत ने दोषी करार दिए गए पुलिसकर्मियों की सजा पर सुनवाई के लिए 26 फरवरी की तारीख तय की है। सीबीआई के लोक अभियोजक दीप नारायण के मुताबिक इस मामले की विवेचना के बाद निघासन के तत्कालीन सीओ इनायत उल्ला खां और कांस्टेबल शिवकुमार तथा उमाशंकर के विरुद्ध साक्ष्य मिटाने जबकि सीओ के गनर रहे अतीक अहमद के खिलाफ हत्या और साक्ष्य मिटाने के मामले में आरोपपत्र दाखिल किया था। पहले इस मामले की जांच सीबीसीआईडी कर रही थी। सीबीसीआईडी ने अपनी जांच के बाद लखीमपुरखीरी की अदालत में इनायत उल्ला खां को छोड़कर अन्य अभियुक्तों के खिलाफ ही आरोपपत्र दाखिल किया था जिसमें अतीक पर भादंसं की धारा 302 व 201 के साथ ही भादंसं की धारा 376 (दुराचार) का भी आरोप लगाया गया था। वहीं, शेष अभियुक्तों को भादंसं की धारा 201 (सबूत मिटाने) में आरोपित किया गया था। लेकिन बाद में सीबीआई ने अपनी जांच में अतीक के खिलाफ सिर्फ हत्या और साक्ष्य मिटाने का आरोप पाया। सीबीआई ने इसके साथ ही सीओ इनायत उल्ला खां को भी साक्ष्य छिपाने के आरोप में आरोपित किया था।
गौरतलब है कि 10 जून, 2011 को लड़की की मां ने इस मामले की प्राथमिकी दर्ज कराई थी। प्राथमिकी में लड़की की मां ने कहा था कि उनकी नाबालिग पुत्री सोनम भैंस चराने गई थी। भैंस चरते हुए थाने के अंदर चली गई। काफी समय बाद भी जब उनकी बेटी वापस नहीं लौटी, तो उसकी तलाश में वह थाने की बाउंडरी के अंदर गईं। वहां उन्होंने देखा कि उनकी बेटी की लाश गिरे हुए पेड़ की डाल में सफेद दुपट्टे से आधी लटकी थी। पास जाकर देखा तो वह मर चुकी थी। उसके शरीर पर कई जगह चोट के निशान थे। उन्होंने कहा था कि उन्हें शक है कि बलात्कार के बाद उनकी बेटी की हत्या कर दी गई और घटना को छिपाने के लिए इसे आत्महत्या का रूप देने की कोशिश की गई।