हमारे कार्यालय संवाददाता
लखनऊ। “हम एक भारतीय वैज्ञानिक क्रांति की दहलीज पर हैं। इसके लिए हमें उचित तकनीक के माध्यम से अपने वैज्ञानिक आधार को नए सिरे से तैयार कर पुनर्निर्मित करना होगा”:
45वें सर एडवर्ड मेलानबी व्याख्यान में बोले डॉ वाई के हामिद
सीएसआईआर-सीडीआरआई ने 17 फरवरी, 2020 को अपना 69वां वार्षिक दिवस मनाया। इस अवसर पर प्रतिष्ठित 45वां सर एडवर्ड मेलानबी मेमोरियल व्याख्यान, सिप्ला के अध्यक्ष डॉ वाई के हमीद द्वारा दिया गया।
स्वास्थ्य सेवा केवल विश्व की 10% आबादी को ही मुहैया है।
उनके व्याख्यान का विषय “विज्ञान और समाज” था। उन्होंने कहा कि भारत को विश्व फार्मेसी की राजधानी के रूप में माना जाता है। भारतीय फार्मा उद्योग की बिक्री 2017 में 33 बिलियन डॉलर आंकी गई थी और इस साल यह बढ़कर 50 बिलियन डॉलर हो गई है। इस सभी विस्तार और विकास के बावजूद, स्वास्थ्य सेवा केवल विश्व की 10% आबादी को ही मुहैया है। एक तिहाई आबादी के पास बुनियादी दवाओं तक भी पहुंच नहीं है। उत्तर और दक्षिण, विकसित और विकासशील में बंटी इस दुनिया को देखकर दुख होता है। सितंबर 2016 में, “एक्सेस टू मेडिसिन” पर एक संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट ने एक सशक्त संदेश दिया, “दवाइयां, निदान, चिकित्सा उपकरण या टीके की अनुपलब्धता या कमी की वजह से कोई भी पीड़ित नहीं होना चाहिए”। साथ में यह भी कहा गया था कि “प्रत्येक देश को अपनी बुनियादी जरूरतों के अनुरूप स्वास्थ्य सेवा पर अपना राष्ट्रीय कानून तैयार करना चाहिए।”
मैं पहले से उपयोग में आने वाली दवाओं के उपयोग को नए सिरे से पुनःस्थापित करने, उनके नए आयामों, उनके नई दवा के रूप में उपयोगों कि संभावना के बारे में चर्चा करना चाहता हूं। उदाहरण के तौर पर 2001 में सिप्ला का अग्रणी प्रयास जोकि पहला एचआईवी / एड्स का दवा संयोजन था। यह सार्वजनिक / निजी उद्यम की साझेदारी पर ही आधारित था।
हम एक भारतीय वैज्ञानिक क्रांति की दहलीज पर हैं। इसके लिए हमें उपयुक्त तकनीक का उपयोग करके अपने वैज्ञानिक आधार को नए सिरे से गढ़ना, फिर से बनाना और पुनर्निर्मित करना होगा। जोकि वैज्ञानिक रूप से सत्यापित, प्रासंगिक, स्थानीय आवश्यकताओं के अनुकूल हो और उपलब्ध संसाधनों में तैयार किया जा सके। हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हम एक ऐसे भारत का सपना देखें, जहाँ हर नागरिक जीवन की एक अच्छी गुणवत्ता साझा कर सके। हम सभी अपनी आने वाली पीढ़ियों के प्रति जवाबदेह हैं।
ग्लुकोकॉर्टेयोटिक-जनित ऑस्टियोपोरोसिस के उपचार के लिए कैसिया ओक्सीडेंटिलिस से निर्मित एक समृद्ध सत्त-सीडीआर219सी002 की तकनीक का हस्तांतरण किया गया।
ग्लूकोकार्टिकोआइड (जीसी) इन्फ़्लेमेशन संबंधी बीमारियों के चिकित्सा प्रबंधन में सभी एंटी-इन्फ़्लेमेट्री एव इम्म्युनोसप्रेसिव थेरेपी का प्रमुख घटक है, और इसका कोई अन्य विकल्प भी अभी उपलब्ध नहीं है। ग्लूकोकार्टोइकोटिड प्रेरित ऑस्टियोपोरोसिस (जीआईओ) औषधिजनित का एक प्रमुख उदाहरण है । अस्थि सुरक्षा के संदर्भ में, ग्लूकोकार्टिआइड की कोई “सुरक्षित खुराक” नहीं है। भारतीय आबादी का लगभग 0.5% विभिन्न रोगों के लिए लंबे समय तक ग्लुकोकॉर्टिकॉइड उपचार प्राप्त करता है और इन रोगियों में ऑस्टियोपोरोसिस की घटना 50% है। वैश्विक तौर पर लंबे समय तक ग्लुकोकॉर्टिकॉइड (जीसी) प्राप्त करने वाले 30-50% मरीजों में फ्रैक्चर होता है। ग्लुकोकॉर्टिकॉइड प्रेरित ऑस्टियोपोरोसिस के इलाज के लिए सीएसआईआर-सीडीआरआई ने कैसिया ओक्सीडेंटिलिस पौधे से एक समृद्ध अंश सीडीआर219सी002 संश्लेषित किया है विगत 10 दिनो से चल रहे तकनीक के प्रदर्शन के पश्चात इस तकनीक का हस्तांतरण आज मैसर्स फार्मेञ्ज़ा हर्बल प्राइवेट लिमिटेड, गुजरात को किया गया। जिसे से वे इसके निर्माण एवं विपणनपर कार्य कर सके।
औषधि अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए सीडीआरआई पुरस्कार-2020 की घोषणा
आज औषधि अनुसंधान में उत्कृष्टता के लिए प्रतिष्ठित सीडीआरआई पुरस्कार-2020 की घोषणा की गई थी। इस वर्ष सितंबर में सीएसआईआर के स्थापना दिवस पर ये पुरस्कार प्रदान किए जाएंगे। रासायनिक विज्ञान श्रेणी में उत्कृष्ट अनुसंधान लिए प्रतिष्ठित सीडीआरआई पुरस्कार 2020 आईआईटी, जोधपुर के प्रोफेसर डॉ सुराजीत घोष को प्रदान किया जाएगा।
लाइफ साइंसेज श्रेणी में सीडीआरआई पुरस्कार 2020, जैविक विज्ञान और बायोइंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी, कानपुर में सहायक प्रोफेसर डॉ बुशरा अतीक तथा जेएनसीएएसआर, बेंगलुरु के फैकल्टी फेलो, डॉ रवि मंजीठिया को सम्मानित किया जाएगा।
सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी, पेटेंट और प्रकाशन के लिए वार्षिक प्रोत्साहन पुरस्कार
वर्ष की सर्वश्रेष्ठ प्रौद्योगिकी के लिए तीन लाख रुपये का वार्षिक प्रोत्साहन पुरस्कार, डॉ टी नरेंद्र और डॉ मोनिका सचदेव और उनकी रिसर्च टीम को बिनाइन प्रोस्थेटिक हाइपरप्लासिया (बीपीएच) के प्रबंधन के लिए एन-012-0001 के साथ समृद्ध मानकीकृत अंश की प्रौद्योगिकी प्रदान किया गया।
वर्ष का सर्वश्रेष्ठ पेटेंट के लिए दो लाख रुपये का पुरस्कार डॉ रितु त्रिवेदी, डॉ पीआर मिश्रा एवं डॉ राकेश मौर्य और उनकी रिसर्च टीमों को उनके अस्थि संबंधी विकारों के बचाव एवं प्रबंधन के लिए बनाए फोर्मूलेशन संबंधी यूएस पेटेंट को दिया गया।
ग्यारह शोध पत्र सर्वश्रेष्ठ प्रकाशन के लिए एक लाख रुपये के वार्षिक प्रोत्साहन पुरस्कार हेतु चुने गए जिनका इम्पैक्ट फ़ैक्टर छह से अधिक था।
शोधछात्रों को अकादमिक कैरियर उपलब्धि पुरस्कार-2020 निम्नलिखित श्रेणी प्रदान किए गए:
प्रतिष्ठित कैरियर उपलब्धि पुरस्कार-2020:
a) डॉ एमएम धर मेमोरियल प्रतिष्ठित करियर अचीवमेंट अवार्ड-2020 (रसायन विज्ञान)
संयुक्त रूप से (1) एकता गुप्ता (डॉ किशोर मोहनन की छात्रा) (२) तृप्ति मिश्रा (डॉ टी नरेंद्र के छात्र)
ख) डॉ एमएम धर मेमोरियल प्रतिष्ठित कैरियर उपलब्धि पुरस्कार-2020 (लाइफ साइंस)
(1) आनंद प्रकाश गुप्ता (डॉ जियाउर रहमान गाइन के छात्र)
ग) डॉ जेएम खन्ना मेमोरियल प्रतिष्ठित करियर अचीवमेंट अवार्ड-2020 (पूर्व नैदानिक और नैदानिक विज्ञान)म
संयुक्त रूप से (1) मोहम्मद रियाजुद्दीन (डॉ जियाउर रहमान गाइन के छात्र) एवं (२) सलिल वार्ष्णेय (डॉ अनिल गायकवाड के छात्र)
प्रारंभिक कैरियर उपलब्धि पुरस्कार-2020:
डॉ जेएम खन्ना मेमोरियल अर्ली करियर अचीवमेंट अवार्ड-2020
(1) सुक्का संतोष रेड्डी- (डॉ मनोज बर्थवाल के छात्र)
डॉ स्वर्ण नित्या आनंद मेमोरियल अर्ली करियर अचीवमेंट अवार्ड-2020 (महिला शोध छात्राओं)
(1) प्रियंका कोठारी (डॉ रितु त्रिवेदी की छात्रा) एवं (२) पल्लवी अवस्थी (डॉ अतुल गोयल की छात्रा) को संयुक्त रूप से
डॉॉक्टर डीएल श्रीवास्तव मेमोरियल अर्ली करियर अचीवमेंट अवार्ड-2020
(कोई भी उपयुक्त नहीं मिला)
गणमान्य व्यक्तियों द्वारा वार्षिक रिपोर्ट-2019-20 को जारी किया गया। जबकि, वार्षिक दिवस समारोह के सुबह के सत्र में, अंतर्नाद-2020: वार्षिक खेल एवं सांस्कृतिक कार्यक्रमों के विजेताओं को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन आयोजन समिति के अध्यक्ष डॉ केवी शशिधारा द्वारा धन्यवाद ज्ञापन के साथ किया गया।