कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। राजधानी लखनऊ में शुक्रवार को यूपी सीएम योगी और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की तस्वीर वाले लगे पोस्टर का मामला पुलिस तक पहुंच गया है। हजरतगंज कोतवाली में पुलिस ने मामला दर्ज कर आरोपियों की खोजबीन शुरू कर दी है। आरोप है कि पोस्टर कांग्रेस की ओर से लगवाए गए थे। यह पोस्टर सीएए हिंसा के आरोपियों के पोस्टर के साथ लगाए गए थे। इसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की तस्वीर के साथ छह अन्य भाजपा नेताओं की तस्वीर लगी थी जिसमें सवाल पूछा गया कि इन दंगाइयों से वसूली कब? पोस्टर के नीचे निवेदक सुधांशु वाजपेयी लालू कन्नौजिया भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस लिखा था।
आपराधिक मामलों का था जिक्र
पोस्टर में पूर्व विधायक राधा मोहन दास अग्रवाल, विधायक संगीत सोम, उमेश मलिक, सुरेश राणा, एमपी संजीव बालयान और विहिप नेता साध्वी प्राची के नाम और तस्वीर भी लगाए गए। पोस्टर पर इन बीजेपी नेताओं पर पूर्व में लगाई गईं गंभीर धाराओं के बारे में भी लिखा गया। राधा मोहन दास के नाम के साध गोरखपुर दंगे का आरोपी, संगीत सोम, संजीव बालयान, उमेश मलिक, सुरेश राणा और साध्वी प्राची के नाम के साथ मुजफ्फरनगर दंगे का आरोपी लिखा गया। शुक्रवार देर रात ये पोस्टर लखनऊ भर में लगाए गए। हालांकि इनकी जानकारी मिलते है, जिला प्रशासन सक्रिय हुआ और इन्हें तुरंत हटा दिया गया।
इससे पहले समाजवादी पार्टी की ओर से रेप के आरोपी कुलदीप सिंह सेंगर और चिन्मयानंद के पोस्टर सीएए हिंसा के आरोपियों के पोस्टर के साथ लगाए गए थे। ये पोस्टर सपा नेता आईपी सिंह की ओर से लगवाए गए थे जिसमें लिखा था कि ‘ये हैं प्रदेश की बेटियों के आरोपी, इनसे रहें सावधान।’ हालांकि, बाद में पुलिस ने इस पोस्टर को भी हटा दिया था।
गौरतलब है कि योगी सरकार द्वारा सीएए हिंसा के दौरान हुई आगजनी और तोड़फोड़ में शामिल आरोपियों के पोस्टर शहर के चौराहे पर लगवाने के बाद विवाद खड़ा हो गया है। हाईकोर्ट ने बिना किसी कानून के तहत यूपी सरकार द्वारा पोस्टर लगाने का विरोध किया है। कोर्ट ने यूपी सरकार से सवाल किया कि किस कानून के तहत उसने आरोपियों के पोस्टर इस तरह सार्वजनिक कर दिए। आज मामले की फिर से सुनवाई होनी है। ऐसे में कानून न होने के मसले पर सुनवाई से पहले सरकार ने इसका हल निकालते हुए यूपी रिकवरी फॉर डैमेज टू पब्लिक एंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश-2020 को मंजूरी दे दी है। इसके तहत आंदोलनों-प्रदर्शनों के दौरान सार्वजनिक या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने पर दोषियों से वसूली भी होगी और उनके पोस्टर भी लगाए जाएंगे।