शगुन सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को कहा कि सामूहिक बलात्कार मामले में आरोपी उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति की अंतरिम जमानत के खिलाफ राज्य सरकार की अपील पर 15 अक्टूबर को आदेश पारित किया जाएगा।
बता दें कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने मेडिकल आधार पर प्रजापति को दो महीने की अंतरिम जमानत दी थी। न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने इस मामले में राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एएसवी राजू और प्रजापति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन की दलीलें सुनीं। प्रजापति उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार में मंत्री थे।
प्रजापति को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं
प्रजापति और अन्य पर आरोप है कि उन्होंने एक महिला से बलात्कार किया और उसकी नाबालिग बेटी से भी छेड़छाड़ करने का प्रयास किया। इस अपील पर सुनवाई शुरू होते ही राजू ने प्रजापति की मेडिकल रिपोर्ट पढ़ी और कहा कि मेडिकल बोर्ड ने कहा था कि उनका इलाज जेल में भी हो सकता है। उन्होंने कहा कि प्रजापति कई महीने से जेल में हैं और उनका स्वास्थ्य स्थिर है। उन्होंने कहा कि प्रजापति को अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता नहीं है।
मामला लंबित होने की वजह से कोर्ट ने नहीं लिया निर्णय
पीठ ने आरोपी की नियमित जमानत के बारे में भी जानकारी मांगी तो राजू ने कहा कि वह अभी लंबित है। प्रजापति की ओर से वरिष्ठ अधिक्ता राजीव धवन ने कहा कि पिछले साल मई महीने से उनके मुवक्किल की नियमित जमानत अर्जी पर फैसला नहीं किया गया है और मामला लंबित होने की वजह से उच्च न्यायालय ने इस पर कोई निर्णय नहीं लिया है।
2017 में सामूहिक बलात्कार के मामला में दोषी हैं प्रजापति
पीठ ने सुनवाई पूरी करते हुये कहा कि वह इस पर 15 अक्टूबर को अपना आदेश सुनायेगी। शीर्ष अदालत ने 21 सितंबर को प्रजापति को उच्च न्यायालय द्वारा तीन सितंबर को दी गयी दो महीने की अंतरिम जमानत पर रोक लगा दी थी। प्रजापति के खिलाफ गौतमपल्ली थाने में 2017 में सामूहिक बलात्कार का मामला दर्ज किया गया था और उन्हें 15 मार्च, 2017 को गिरफ्तार कर लिया गया था।