आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ । समाचार जगत कोरोना काल में अकाल काल कवलित हो रहा है और केन्द्र व राज्य शासन ने पत्रकारों एवं समाचार पत्रों तथा मीडिया संस्थाओं के लिए अब तक किसी भी तरह का कोई पैकेज नहीं घोषित किया और नहीं ही किसी को कोई राहत सहायता मदद दी गई है ।
केन्द्र व राज्य सरकारों पर विभिन्न समाचार पत्रों का विज्ञापनों का अठारह सौ करोड़ बकाया भुगतान की मांग उच्चतम न्यायालय से की गई है । कोरोना महामारी के बचाव रोकथाम के लिये किये गये हुई पूर्ण देश बंदी
टोटल लाक डाउन की वजह से अखबारों का कारोबार ठप्प प्राय होने से गंभीर आर्थिक संकट पैदा हो गया है ।समाचार उद्योग चरमरा गया है । पत्रकार व गैर पत्रकार समाचार पत्र कर्मियों और मीडिया कर्मियों की सेवाएं समाप्त करने, वेतन कटौती व न दिये जाने एवं जबरिया अवैतनिक अवकाश पर भेजने की चहुंओर से सूचनाएं मिल रही हैं । ऐसे में पत्रकारिता और पत्रकारों के हित में एकजुट आवाज बुलंद करना सभी संघों व संगठनों का मूल कर्त्तव्य दायित्व है ।
संयुक्त श्रमजीवी पत्रकार महासंघ पत्रकारिता की अस्मिता और अस्तित्व की रक्षा के लिये समर्पित संकल्पित एवं दृढ़ प्रतिज्ञबद्ध तथा हर स्तर पर आवाज उठाने प्रतिबद्ध है।
अब पत्रकारिता की आजादी का मसला भी गंभीर चिंताजनक है । स्वतंत्र निष्पक्ष निर्गुट निर्भीक पत्रकारिता का संकट गहराता जा रहा है ।सर्वोच्च न्यायालय का ताजा यह कथन स्वागतेय है कि ” पत्रकारिता की आजादी संविधान में दिये गये बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का मूल आधार है । भारत की स्वतंत्रता उस समय तक ही सुरक्षित है, जब तक सत्ता के सामने पत्रकार किसी बदले की कार्रवाई का भय माने बिना अपनी बात कह सकता है । एक पत्रकार के खिलाफ एक ही घटना के सम्बन्ध में अनेक आपराधिक मामले दायर नहीं किये जा सकते हैं । ” ये दो दृष्टान्त एक ही विषय के विंदु हैं ।
संयुक्त श्रमजीवी पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेंद्र पाण्डेय ने कहा कि
सरकार लोकतंत्र की प्राण वायु पत्रकारिता को बचाने के बजाय क्षति पहुंचाये और पत्रकारों का हित संरक्षण न करके शोषण अन्याय तथा जान-माल का नुकसान होने दे और खुद अखबारों तथा पत्रकारों का गला घोटने पर उतारू आमादा हो, तो समस्त पत्रकारों को पूरी एकता एवं शक्ति के साथ संघर्ष के लिये आगे आने का आव्हान व अपील करते हुए अतिशीघ्रातिशीघ्र आन लाइन सम्पर्क संवाद कर आगामी कार्य योजना को अंतिम रूप देने की प्रार्थना करते हुए । सक्रिय सहभागिता की आशा एवं अपेक्षा की है।