आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ–विद्यालय एक ऐसा स्थान होता है जहां बच्चे अपने ज्ञान का निर्माण करते हैं । इसके लिए जरूरी है कक्षा कक्ष और उसके बाहर बच्चों को कुछ नया रचने -गुनने, अपनी बात कहने की आजादी और जगह हो । दुर्भाग्य से वर्तमान समय में विद्यालय बच्चों को नया रचने को प्रेरित नहीं कर पा रहे हैं बच्चे भी एक दबाव एवं तनाव में जी रहे हैं। इसके लिए जरूरी है कि शिक्षक विद्यालयों को एक आनंदघर के रूप में बदलें , जहां बच्चों का कलरव हो, हास्य हो, जहां बच्चे मुक्त मन से अपना ज्ञान कि निर्माण कर सकें।
उक्त विचार शैक्षिक दखल समिति द्वारा राणा प्रताप इंटर कॉलेज खटीमा में आयोजित दो दिवसीय शैक्षिक सेमिनार में वक्ता के रूप में बांदा , उत्तर प्रदेश से पधारे शिक्षक साहित्यकार प्रमोद दीक्षित मलय ने उपस्थित शिक्षकों के सम्मुख व्यक्त किए। आगे कहा कि बच्चों को स्कूल से जोड़ने के लिए जरूरी है कि उनके प्रति मित्रता और आतमीयता का व्यवहार किया जाए । साथ ही विद्यालय विकास के लिए जरूरी है कि समुदाय और शिक्षक एक साथ बैठकर संवाद कर विद्यालय विकास की योजना बनाएं । बच्चों में सामूहिकता, लोकतांत्रिक व्यवस्था के प्रति विश्वास, मानवीय मूल्यों के प्रति सम्मान और परस्पर करुणा ,न्याय, विश्वास उत्पन्न हो इसके लिए बाल संसद दीवार एवं पत्रिका जैसी गतिविधियां बहुत उपयोगी सिद्ध होते हैं । बच्चों के अनुभव और उनके परिवेश के ज्ञान को विद्यालय में सम्मान देने की जरूरत है । शिक्षा का संकट आज दिखाई देता है कि सरकारी विद्यालयों में नामांकन घटा है और कम नामांकन वाले विद्यालय बंद किए जा रहे। अभिभावकों में अंग्रेजी माध्यम स्कूलों के प्रति मोह बढ़ा है जबकि यह बहुत जरूरी है की बच्चे की प्राथमिक शिक्षा उसकी मातृभाषा में होनी चाहिए ।
प्रमोद दीक्षित में अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा की बांदा जनपद में शैक्षिक संवाद मंच नाम से शिक्षकों का एक स्वैच्छिक रचनात्मक समूह 2012 में बनाया था जो शिक्षा के विभिन्न मुद्दों पर महीने में रविवार को किसी शिक्षक के विद्यालय में बैठकर चर्चा करते हैं और प्राप्त निष्कर्षों को स्कूलों में प्रयोग किया जाता है। मंच के शिक्षकों एवं बच्चों के अनुभव पत्र पत्रिकाओं में छप रहे हैं। मंच ने पहला दिन , महकते गीत और गिजुभाई बधेका का शैक्षिक बाल दर्शन नामक पुस्तक प्रकाशित की है । मंच जल्द ही अपनी एक त्रैमासिक पत्रिका प्रकाशित करने वाला है । इसके पूर्व इस शैक्षिक सेमिनार का आरंभ दीप प्रज्वलन से हुआ । शिक्षा का संकट और वैकल्पिक कोशिशें पर विषय प्रवर्तन डॉ महेश बवाड़ी और प्रोफेसर भूपेंद्र यादव ने मुख्य वक्तव्य दिया।
कार्यक्रम का संचालन राजीव जोशी ने किया । इस कार्यक्रम में शैक्षिक दखल पत्रिका के संपादक महेश पुनेठा, दिनेश कर्नाटक , दिनेश जोशी, हिमांशु पांडे मित्र ,कमलेश अटवाल, विवेक पांडे ,ऊषा टम्टा, ब्रह्मपाल, राजेश पंत, जय शंकर चौबे, दिव्य प्रकाश जोशी, नरेंद्र रौतेला , संस्कृति दीक्षित बीएचयू बनारस सहित एक सैकड़ा शिक्षक शिक्षिकाएं उपस्थित रहे ।कार्यक्रम के आयोजक निर्मल नियोलिया सभी का आभार व्यक्त किया।