अभिषेक श्रीवास्तव की रिपोर्ट
लखनऊ। राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (भारत) की ओरेशन एंड अवार्ड्स कमेटी ने डॉ सतीश मिश्रा, प्रिंसिपल साइंटिस्ट, डिवीजन ऑफ मॉलिक्यूलर पैरासिटोलॉजी एंड इम्यूनोलॉजी, सीएसआईआर-सीडीआरआई, लखनऊ को वर्ष 2020 के “डॉ तुलसी दास चुघ पुरस्कार” के लिए चुना है। यह अवार्ड उन्हें मलेरिया परजीवी के जीवन चक्र की जटिल प्रक्रिया को समझने के लिए किए गए उनके शोध हेतु दिया गया है। मलेरिया परजीवी का जीवन चक्र एक जटिल प्रक्रिया है जिसमें दो मेजबान (स्तनधारी एवं मच्छर) शामिल होते हैं एवं संक्रमण की प्रक्रिया तीन आक्रामक चरणों में पूरी होती है। स्तनधारियों और मच्छरों दोनों में सफलतापूर्वक संक्रमण हेतु विभिन्न चरणों की घटनाओं के समन्वित अनुक्रम (कोओर्डिनेटेड सेक्वेंस ऑफ इवेंट्स) की आवश्यकता होती है। अपने शोध में उन्होने बताया कि “सीक्रेटेड प्रोटीन विथ थ्रोम्बोस्पोंडिन रिपीट्स (एसपीएटीआर), प्लोडोडियम बर्घी नामक मलेरिया परजीवी द्वारा संक्रमण की एसेक्सुअल ब्लड स्टेज के लिए तो आवश्यक है, परंतु हेपेटोसाइट चरण के लिए आवश्यक नहीं है”। यह अध्ययन प्लाज्मोडियम बर्घी स्पोरोजोइट्स में एसपीएटीआर की उपयोगिता और संक्रमण की रक्त अवस्था में इसके महत्व पर प्रकाश डालता है, हालांकि इस प्रक्रिया के दौरान इसकी सटीक भूमिका को जानने के लिए अभी विस्तृत जांच की आवश्यकता है।
अकादमी एवं पुरस्कार
राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (भारत)/ नेशनल एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज (भारत) एक अनूठी संस्था है जो अकादमिक उत्कृष्टता का उपयोग चिकित्सा और सामाजिक सरोकारों को पूरा करने के लिए अपने संसाधन के रूप में करती है। इसे 21 अप्रैल, 1961 को सोसायटी पंजीकरण अधिनियम XXI 1860 के तहत ‘इंडियन एकेडमी ऑफ मेडिकल साइंसेज‘ के रूप में पंजीकृत किया गया था। बाद में 16 नवंबर, 1976 को भारत सरकार द्वारा स्थापित कार्य समूह की सिफारिशों पर अकादमी को राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान अकादमी (भारत) नाम दिया गया। अकादमी द्वारा अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार स्थापित किए गए हैं जो प्रख्यात जैव-चिकित्सा वैज्ञानिकों को उनके उत्कृष्ट अनुसंधान योगदान को मान्यता प्रदान कर सम्मानित करते हैं। अकादमी राष्ट्रव्यापी सीएमई कार्यक्रमों, संगोष्ठी, कार्यशालाओं आदि को भी प्रोत्साहित करती है और वर्षों से चिकित्सा और संबद्ध विज्ञानों के क्षेत्र में भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा की गई उत्कृष्ट उपलब्धियों को चिन्हित कर मान्यता प्रदान कर रही है। उपलब्धियों की समीक्षा के उपरांत, फैलो द्वारा मतदान के आधार पर चयनित व्यक्तियों को अकादमी की सदस्यता प्रदान की जाती है।
डॉ तुलसी दास चुघ पुरस्कार के रूप में एक स्क्रॉल, एक स्मारक पदक और नकद प्रोत्साहन प्रदान किया जाता है। डॉ मिश्रा को यह पुरस्कार अकादमी के वार्षिक सम्मेलन के समय दिया जाएगा। वार्षिक सम्मेलन के दौरान, एक सत्र आयोजित किया जाएगा जिसमें वह अपने शोध कार्य की मौखिक प्रस्तुति देंगे तत्पश्चात उस पर चर्चा की जाएगी।