लवलेश कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ। बिजली इंजीनियरों के अप्रतिम त्याग एवम बलिदान के अविस्मरणीय अध्याय, जो देश भर के विद्युत् अभियंताओं के लिए एक प्रेरक मिसाल बन गया, को किया याद । एक आंदोलन जिसकी आवाज बी बी सी लन्दन और विदेशी मीडिया से भी सुनी गयी थी ।
विद्युत अभियन्ताओं ने प्रत्येक वर्ष की भांति दिनांक 29 नवम्बर को प्रदेश भर में संकल्प दिवस मनाया। लखनऊ मुख्यालय पर संकल्प दिवस का आयोजन हाईडिल फील्ड हॉस्टल में किया गया। इस दिन विद्युत अभियन्ता 29 नवम्बर 1979 को हुए अविस्मरणीय आन्दोलन में आजादी के मतवालों की तरह सम्मिलित होने वाले नायकों को साधुवाद देते हुए बलिदान की इसी गाथा को समय आने पर दोहराने के लिए प्रति वर्ष ‘‘संकल्प दिवस’’ पर हम संकल्प लेते हैं। आन्दोलन में नारा था – ‘हम अभियन्ता हैं याचक नहीं-सेवा करेंगे तो हक भी लेंगे’’
विद्युत अभियन्ता संघ के अध्यक्ष इं0 वी० पी० सिंह एवं महासचिव इं0 प्रभात सिंह ने बताया कि 29 नवम्बर’1979 को उ0प्र0 के बिजली अभियंताओं के आंदोलन को कुचलने के लिए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने आंदोलनकारी इन्जीनियरों पर मिनी मीसा लगाया जिसमें गिरफ्तार होने पर छह माह तक अदालत भी हस्तक्षेप नहीं कर सकती थी और सरकार को यह अधिकार था कि अवधि छह माह और बढ़ा सकती है अर्थात बिना सुनवाई के एक साल तक जेल।
28-29 नवम्बर की रात में पनकी बिजली घर से गिरफ्तारी का समाचार मिलते ही 29 नवम्बर की सुबह से बिजली इन्जीनियरों ने हजरतगंज कोतवाली के सामने कतारबद्ध होकर स्वेच्छा से गिरफ्तारी देना शुरू कर दिया तो ऐसा माहौल पैदा हो गया जिसमे सरकार के मिनी मीसा के टुकड़े हजरतगंज की नालियों में बहते देखे जा सकते थे। 1600 से अधिक बिजली अभियंताओं ने स्वेच्छा से गिरफ्तारी दे कर उप्र की जेलों को भर दिया। 85 अधीक्षण अभियंताओं और एक मुख्य अभियन्ता ने फौलादी एकता का परिचय देते हुए स्वेच्छा से गिरफ्तारी दे कर प्रदेश सरकार की दमनकारी नीतियों को धता बता दिया। अन्ततः सरकार को झुकना पड़ा, सरकार वार्ता की मेज पर आयी और सभी अभियंताओं की बिना शर्त रिहाई हुई। वैसे तो समयबद्ध वेतनमान अर्थात पदोन्नति न हो तो भी एक निश्चित समय के बाद पदोन्नति पद का वेतन मान मिले और 1969, 1974 तथा 1979 से तीन वेतन पुनरीक्षण की मांग को लेकर यह आंदोलन हुआ था किन्तु आन्दोलन अप्रतिम त्याग एवम बलिदान की मिसाल बन इतिहास बन गया।
आज हुए संकल्प दिवस पर अध्यक्ष इं0 वी० पी० सिंह ने सदस्यों को निम्न संकल्प दिलाया- ‘‘मैं शपथ लेता हूँ कि 29 नवम्बर 1979 को अपने समुदाय की प्रतिष्ठा एवम् आत्म-सम्मान के लिए जिस प्रकार मेरे हजारों साथियों ने स्वेच्छा से गिरफ्तारी देकर, जेल यातना स्वीकार की थी किन्तु दमन, अन्याय, उत्पीड़न और बर्बरता के समक्ष समर्पण करना स्वीकार नहीं किया था उसी प्रकार अपने समुदाय की प्रतिष्ठता एवम् आत्म-सम्मान की रक्षा के लिए, मैं कोई भी बलिदान देने के लिए सदैव तत्पर रहूँगा। संगठन के प्रति अटूट निष्ठा रखते हुए मैं संगठन के निर्देशों का सदा पालन करने की सौगन्ध लेता हूँ।’’
इस अवसर पर ऑल इण्डिया पावर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने भी अभियन्ताओं को सम्बोधित किया। इस अवसर पर के के वर्मा, , संदीप राठौर, राहुल सिंह आदि सम्मिलित हुए।