अजीत त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ। हद तो तब हो जाती है जब मानकों को दरकिनार करते हुए लोग ई-रिक्शा को कमाई का संसाधन मानते हुए 10, 12 साल के बच्चों को भी ई-रिक्शा थमाने से बाज नहीं आ रहे हैं।
और उससे भी ज्यादा हद की बात यह है कि जिम्मेदारों को यह दिखाई नहीं पड़ता है, कि सड़क पर चल रहे छोटे-छोटे बच्चे जो ई रिक्शा लेकर फर्राटा भर रहे हैं, उनके पास ई-रिक्शा चलाने का ना कोई वैध लाइसेंस है, और ना ही इनमें इतनी समझ, और ना ही यातायात के नियमों की समुचित जानकारी, या उनका पालन करने की कोई जिम्मेदारी।