सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ। यूं तो कालाबाजारी के कारोबार का तरीका बहुत हैं लेकिन आज हम जिस तरह की कालाबाजारी से आपको रुबरु करा रहे हैं वो कुछ अलग ही है।
ग्रामीण इलाकों के पेट्रोल पंपों पर यह धंधा तेजी से होता है। शायद यही वजह है कि पेट्रोल पंपों और उनके संचालकों की छवि भी उपभोक्ताओं की दीमांग में घर कर चुकी है। चर्चाओं के बाजार में अक्सर यह सुनने को मिलता है कि फलां पंप पर तेल में मिलावट होती और फलां पर कम पेट्रोल मिलता है। कई बार तो ऐसा भी मामला प्रकाश में आया है कि फलां पेट्रोल पंप से तेल भराने के बाद वाहन कम माइलेज देती है। हद तो यह है कि इस तरह की चर्चाओं और शिकायतों के बावजूद इन पर कोई कार्रवाई नहीं होती।
प्रशासन के नाक के नीचे पिछले कई सालों से डीजल पेट्रोल का काला कारोबार बड़े पैमाने पर किया जा रहा था। डीजल व पेट्रोल चोरी करने वाले गिरोह के लोग ड्राइवर की मिलीभगत से डिपो से आयल स्टेशन को जा रहे टैंकर से डीजल व पेट्रोल चुराकर काला कारोबार करते हैं और आयल स्टेशन से कम दाम में तेल को बेचते हैं जिससे कि लोगों को कम दम में मिल जाता है।
थाना बंथरा जुनाबगंज के पास प्रसाद इंस्टिट्यूट के पीछे उतरता है टैंकरों से डीजल व पेट्रोल। इसकी शिकायत कई बार अधिकारियों से भी की जा चुकी है मगर उसके बावजूद भी बंथरा पुलिस कालाबाजारी रोकने में हो रही नाकाम। साबित जबकि दिन के उजाले में ही यह काला कारोबार होता है फिर भी बंथरा पुलिस इस कार्य को बखूबी से काला कारोबार करने वालों का साथ देती है बंथरा थाना क्षेत्र के अंतर्गत कई कार्य अवैध रूप से किए जाते हैं जैसे कि बंथरा बाजार में खुलेआम गांजे का कारोबार होता है मगर लगता है बंथरा पुलिस बंद कराने की बजाय गलत कार्य करने वालों का देती है साथ। अब देखना यह होगा कि कमिश्नरी लागू होने के बाद काले कारोबार पर पुलिस नकेल कसने में सफलता हासिल करती है या फिर पुलिस के वादे सिर्फ हवा-हवाई साबित होते हैं ?
जिले के विभिन्न स्थानों पर बेचे जाने वाले पेट्रोल व डीजल की जानकारी पुलिस के आला अधिकारियों को भी है। हालांकि महज खानापूर्ति के लिए कभी-कभार पुलिस की रेड होती है, लेकिन इस अवैध कारोबार पर नकेल नहीं कसी जा सकी है।
जबकि इसकी शिकायत कई बार एसीपी कृष्णा नगर से भी की जा चुकी है उसके बावजूद भी टैंकरों से तेल आज भी दिन के उजाले में हजारों लीटर टैंकरों से तेल निकाला जाता है।
अब देखना यह होगा कि क्या इन काला कारोबार करने वालों पर उच्च अधिकारियों के द्वारा कोई कार्रवाई होती है या फिर यह भी ठंडे बस्ते में डाला जाएगा?