ब्यूरो रिपोर्ट शिवम् सिंह
लखनऊ। देश में पहली बार रेलवे के ई-टिकटों की कालाबाजारी कर टेरर फंडिंग का पर्दाफाश हुआ। यह कालातंत्र लखनऊ में खूब फला-फूला। आरपीएफ अफसरों की लापरवाही से राजधानी में आइआरसीटीसी की वेबसाइट में सेंध लगाकर कंफर्म रेल टिकट बनाने के लिए शमशेर ने तीन प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर विकसित किए थे। वहीं, मुख्य आरोपित व सॉफ्टवेयर डेवलपर हामिद ने यहीं से गोंडा व बस्ती होते हुए पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों तक अपना नेटवर्क बनाया। दिल्ली और बेंगलुरु की आरपीएफ टीम ने हामिद व शमशेर के कनेक्शन को पकड़ा। शमशेर टीम अब जेल में है, जबकि हामिद फरार है। रेलवे बोर्ड की स्पेशल टीम की इस कार्रवाई से लखनऊ में तैनात आरपीएफ अफसरों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं।
पड़ताल में सामने आया है कि हामिद अशरफ ने ही प्रतिबंधित साफ्टवेयर एएनएमएस बनाया था। शमशेर ने मेड आइ-बाल एवं रेड बुल नाम के दो प्रतिबंधित साफ्टवेयर बनाए। शमशेर ने हामिद के साथ मिलकर प्रतिबंधित साफ्टवेयर को देश भर में बेचा। इससे मिले करोड़ो रुपये शमशेर ने अपनी सिफा इंटरप्राइजेज कंपनी और खुद के लिए जमा किए। अवैध धंधे की इसी रकम से उसने स्कूल, कई ट्रक, अर्थ मूविंग मशीन व संपत्तियां बनायीं। प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर के धंधे में वर्चस्व को लेकर ही शमशेर और हामिद के बीच दुश्मनी हुई।
हामिद के ई-मेल ने मचाया हड़कंप
इन दोनों की रार ने ही टेंरर फंडिंग की कडिय़ों को खोलने में अहम भूमिका निभाई। दरअसल दिसंबर में आरपीएफ महानिदेशक को हामिद अशरफ ने एक ई-मेल भेजा था। उसने ऑफर किया था कि यदि उसे हर महीने साढ़े चार लाख रुपये दिए जाएं तो वह देश भर में प्रतिबंधित साफ्टवेयर से ई-टिकट बनाने वालों को गिरफ्तार करवा सकता है। हालांकि हामिद अशरफ गिरोह का लीड सेलर गुलाम मुस्तफा को बेंगलुरु पुलिस ने पकड़ा। तभी बांग्लादेश मेंं सक्रिय जमात-उल-मुजाहिदीन को टेरर फंडिंग की बात सामने आई।
इतनों को बेचा साफ्टवेयर
पड़ताल में एक और चौंकाने वाला सच सामने आया। हामिद ने शमशेर से अलग होकर डेवलपर सत्यवान उपाध्याय के साथ काम शुरू किया। उसने एमएसी (मैक) प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर बनाया। इसके देशभर में 235 विक्रेता बनाए। हामिद के साथ उसने एएनएमएस सॉफ्टवेयर बनाया। सत्यवान भी मुख्य एडमिन था। एएनएमएस के 1200 विक्रेता बने। एएनएमएस के बंद होने पर एमएसी सॉफ्टवेयर इसी साल जनवरी से बेचना शुरू किया। इसी सॉफ्टवेयर के बने 4493 ई-टिकट बरामद हुए थे, जिन्हें आरपीएफ ने ब्लॉक कर दिया है। इन टिकट की कीमत 8.30 करोड़ रुपये है। हालांकि आरपीएफ ने आठ फरवरी को यह सॉफ्टवेयर भी बंद करा दिया है। शमशेर और हामिद के अन्य प्रतिबंधित साफ्टवेयर भी बंद करा दिए हैं।
दबाई आजमगढ़ छापे की फाइल
आरपीएफ लखनऊ की टीम ने तीन महीने पहले ही आजमगढ़ में छापेमारी कर प्रतिबंधित सॉफ्टवेयर का खेल पकड़ा था। मुंबई कनेक्शन की पड़ताल के लिए फाइल मुख्यालय भेजी गई। वहां आरपीएफ के अधिकारियों ने उस फाइल पर कार्रवाई ही नहीं की।