अभिषेक श्रीवास्तव की रिपोर्ट
लखनऊः हाथरस में दलित समुदाय की महिला के साथ कथित सामूहिक दुष्कर्म और उसकी मौत के मामले में भाजपा सरकार के वादी और प्रतिवादी सभी पक्षों का नार्को और पॉलीग्राफी टेस्ट कराये जाने के फैसले पर समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। अखिलेश ने शनिवार को ट्वीट किया ‘‘ हाथरस कांड में मृतका के परिजनों का नहीं बल्कि उन अधिकारियों का नार्को टेस्ट होना चाहिए, जिन्होंने इस कांड को अंजाम दिया। जिससे यह सच उजागर हो सके कि उन्होंने किसके ‘महा-आदेश’ पर ऐसा किया।” अखिलेश ने लिखा, ” असली गुनहगार कितनी भी परतें ओढ़ लें लेकिन एक दिन सच सामने आ जाएगा और आज की सत्ता का राज जाएगा।”
समाजवादी पार्टी ने हाथरस कथित सामूहिक बलात्कार की घटना को लेकर जनाक्रोश बढ़ने पर कुछ अधिकारियों को निलंबित किये जाने के बाद उनके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज किये जाने की शनिवार को मांग की। सपा अध्यक्ष एवं राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने एक विज्ञप्ति जारी कर कहा कि जनता को तब संतोष होगा, जब उच्चतम न्यायालय के किसी वर्तमान न्यायाधीश से हाथरस घटना की निष्पक्ष कराई जाएगी।
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ”हाथरस कांड में भाजपा सरकार की लीपापोती की नीति के विरूद्ध प्रदेश में जनाक्रोश थम नहीं रहा है।” उन्होंने कहा, ‘‘इससे डर कर और अपना कृत्य छुपाने के लिए कुछ अधिकारियों को हटा जरूर दिया गया है, लेकिन न्याय की मांग है कि उन पर प्राथमिकी भी दर्ज हो। ताकि उनसे यह सच उगलवाया जा सके कि किस के दबाव में उन्होंने आतंक फैलाया ? रात में परम्परा के विपरीत दलित युवती का शव क्यों जला दिया और पीड़िता के परिवार को बंधक बनाकर क्यों रखा? मीडिया व विपक्षी सांसदों तक से क्यों दुर्व्यवहार किया गया? उन्हें पीड़िता के परिवार से क्यों नहीं मिलने दिया?”
गौरतलब है कि राज्य सरकार ने मामले की जांच कर रही विशेष जांच टीम (एसआईटी) की रिपोर्ट के आधार पर हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर, क्षेत्राधिकारी रामशब्द और तीन अन्य पुलिकर्मियों को निलंबित कर दिया है।