सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ। सीतापुर रोड सब्जी मंडी में किसान जो करेला 12 रुपये किलो बेचकर जाता है, वही हमारे आपके घर तक 60 रुपये किलोग्राम यानी पांच गुना अधिक दाम पर पहुंच रहा है। घुइयां का भी यही हाल है। मंडी में घुइयां चौबीस से 25 रुपये किलोग्राम है, वहीं फुटकर में चालीस से 50 रुपये में बेची जा रही है। तमाम सब्जियों का स्वाद फुटकर में फूटने वाले इसी महंगाई बम के कारण किरकिरा हो रहा है। यह हालात तब हैं, जब सब्जियों की बंपर पैदावार हुई है। लॉकडाउन के चलते ठप हुई सप्लाई की चेन अभी तक दुरुस्त नहीं हो पाई है। खेत में खड़ी फसल और पुराने स्टाक ही तेजी से निकाले जा रहे हैं। जानकार कहते हैं, यह सब बिचौलियों का खेल है। फुटकर बाजार का निगरानी का कोई तंत्र नहीं, जिसके चलते आम आदमी की जेब कट रही है।
कोरोना काल में एक चीज, जो सबसे ज्यादा बाजार में दिखी थी वो सब्जी ही थी। रोजगार हाथ से फिसलने के बाद अधिकांश लोग ठेले पर सब्जी का कारोबार करते दिखे। बंपर पैदावार खेतों में पड़ी थी। मंडी तक पहुंच भी गई तो उसे उठाने वाले नहीं थे। हालांकि, दैनिक वस्तु की श्रेणी के चलते सप्लाई पर कोई रोक नहीं थी। अब भी भले अनलॉक है, लेकिन खरीदारी की लूट फिर भी पहले जैसी नहीं है। बावजूद घरों तक सब्जी आखिर इतनी महंगी रसोई तक कैसे पहुंच रही है…? यही हकीकत जानने के लिए बुधवार को सब्जी के अर्थतंत्र को बारीकी से परखा। पड़ताल में चौंकाने वाली हकीकत सामने आई।
सीतापुर रोड और दुबग्गा दोनों ही थोक मंडियों में सब्जी के भाव पहले की तरह ही हैं लेकिन, माल यहां से निकलते ही वेंडर कई गुना महंगा कर बेच रहे हैं। टमाटर, प्याज और लहसुन समेत तमाम जरूरी सब्जियों की यही स्थिति है। हालांकि, बरसात में सब्जियों के दाम कुछ ऊपर चढ़ते हैं, लेकिन जिस तरह थोक और फुटकर में अंतर नजर आ रहा है, वह हैरान करने वाला है। फुटकर बाजार में हर तरफ सब्जियों के दामों में मनमानी चल रही है। इंदिरानगर में जहां करेला 60 रुपये किलो में बिक रहा है, वहीं निशातगंज में 40 और राजाजीपुरम में तीस में बिक रहा है। शिमला मिर्च मंडी में 260 से 280 रुपये पसेरी है, वहीं फुटकर बाजार में सौ रुपये से 120 रुपये किलोग्राम तक में बेची जा रही है। पूरे शहर का यही हाल है। मनमानी कीमत पर सब्जियां बेचकर लोगों की जेब काटी जा रही है।
इलाका देखकर तय कर देते हैं दाम
सब्जी माफिया का पूरा गणित फिक्स है। वे इलाका तय करके मंडी से निकली सब्जी के रेट मनमाने ढंग से तय करते हैं। गोमतीनगर, अलीगंज, इंदिरानगर, आशियाना सहित तमाम इलाकों में करेला साठ से नीचे नहीं मिलेगा क्योंकि यहां ठीकठाक हैसियत वाले परिवार रहते हैं। पुराना लखनऊ में कुछ गुंजाइश आपको दिख जाएगी।