कमलेश चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ। लगभग तीन हफ्तों से जारी सीएए के खिलाफ विरोध प्रदर्शन रुकने का नाम नहीं ले रहा है। जहां लखनऊ के क्लाक टॉवर इलाके में महिलाएं बच्चे संग धरने पर बैठी हैं, तो वहीं कानपुर स्थित मोहम्मद अली पार्क, चमनगंज और बाबूपुरवा फूल पार्क में भी धरना जारी है, लेकिन यूपी पुलिस ने भी इस बीच ठान ली है कि वह इन धरना प्रदर्शनों को बंद करवाकर रहेगी। इसके लिए शनिवार को पुलिस ने कमर कस ली। कानपुर में धरना बंद करवाने के लिए पुलिस ने सख्त कदम उठाया है। जिसमें बताया गया है कि धरने करने वालों पर पुलिस देशद्रोह की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी करेगी। साथ ही उन महिलाओं को भी चिह्नित किया गया है जो अन्य महिलाओं को भड़काने का काम कर रही हैं। प्रदर्शन की आड़ में हिंसा का प्रयास करने वालों पर पैनी नजर है।
शुक्रवार को डीआईजी अनंत देव ने साफ साफ शब्दों में कहा कि 80 लोगों को नोटिस, 200 लोगों को पाबंद करने के बाद भी धरना खत्म न हुआ तो पुलिस देशद्रोह की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी करेगी। साथ ही उन लोगों पर रासुका केतहत कार्रवाई होगी जो धरने का चेहरा बने और उपद्रवियों को पनाह देने के आरोपी है। डीआईजी ने कहा कि मोहम्मद अली पार्क और फूल पार्क में धरने को बाहर से लोग आकर समर्थन करके उकसा रहे हैं। आजादी के नारों के साथ-साथ देश विरोधी नारे लगाए जा रहे हैं। प्रदर्शन की आड़ में हिंसा का प्रयास हो रहा है। ऐसे में प्रशासन अब धरने का समर्थन करने वाले, फंडिंग करने वाले और पर्दे के पीछे खड़े होने वालों पर राष्ट्रद्रोह की धारा में कार्रवाई करेगा। इसके अलावा हिंसा में फरार उपद्रवियों को पनाह देने वालों पर भी रासुका के तहत कार्रवाई कर जेल भेजा जाएगा।
धरने पर बैठी महिलाओं को नहीं पता सीएए
डीआईजी ने बताया ने बताया कि धरने पर बैठीं लगभग सभी महिलाओं को पता नहीं कि नागरिकता संशोधन कानून क्या है। सीओ ने जब धरने पर बैठीं महिलाओं से सीएए वएनआरसी के विषय में पूछताछ की तो वह सब चुप हो गईं। सीओ कलक्टरगंज श्वेता यादव, सीओ नजीराबाद गीतांजलि और एसडीएम लवि त्रिपाठी धरने में बैठी महिलाओं से धरना समाप्त करने का आग्रह लेकर गईं थीं। लेकिन महिलाओं में जानकारी का अभाव साफ देखा गया। सिर्फ 5 या 6 महिलाएं ही सीएए कोबारे में बता पाई। उन महिलाओं को चिह्नित किया गया है जो महिलाओं को भड़काने का काम कर रही हैं। धरने पर बैठी महिलाएं ज्यादातर ग्वालटोली और कर्नलगंज की थीं। एक टीम को बाबूपरवा के फूल पार्क में भी भेजा गया।