लवलेश कुमार की रिपोर्ट
लखनऊ। सात मई को खगोलप्रेमियों के लिए एक खास और यादगार तारीख रही। गुरुवार को भोर में लोगों ने एटा एक्वारिड्स उल्का वर्षा के दिलकश नजारों का आनंद लिया तो सूर्यास्त होते ही साल के अंतिम सुपरमून के दीदार किये।
अब अगले साल आएगा धरती के करीब
वर्ष 2020 में दिखने वाले सुपरमून के सीरीज में यह अंतिम है। गत फरवरी, मार्च और अप्रैल में सुपरमून देखा जा चुका है। अगला सुपरमून वर्ष 2021 के अप्रैल माह में दिखेगा। नासा के अनुसार, इस साल के मई महीने में दिखने वाले इस पूर्णिमा के चांद को वैशाख फेस्टिवल मून भी कहा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह संयोग गौतम बुद्ध की जयंती के दिन बन रहा है। इसके पहले फरवरी, मार्च और अप्रैल महीने में भी सुपरमून दिखा था। वहीं रॉयल ऑब्जर्वेटरी ग्रीनविच के अनुसार, आज दिखने वाले इस सुपरमून को ‘फ्लावर मून’ भी कहा जा रहा है क्योंकि अभी यहां फूलों के खिलने का समय है।
गुरुवार को सूर्यास्त के बाद इस साल के अंतिम सुपर मून का अद्भूत नजारा देखने के लिए शहरवासी उत्साहित रहे। सूर्यास्त होते ही लोगों ने सुपर मून के इस अद्भुत नजारे को देखा और कैमरे में कैद किया। शाम 4.15 बजे पूर्णिमा लगते ही इसकी शुरुआत हुई। सूर्यास्त के तुरंत बाद लगभग शाम 6.36 बजे से लखनऊ वासियों ने इस सुपरमून के अद्भुद नजारे को पूरी रात देखा। लोगों ने सुपर मून की तस्वीरें भी खूब खींचीं।
यूपी अमेच्योर एस क्लब के उत्कर्ष मिश्रा, यश व्यास, अमृतांशु, होजैफा, संस्कार खत्री, अर्पण व अभिमन्यु आदि सदस्यों ने टेलिस्कोप से सुपर मून के की घटना के दौरान चंद्रमा में हर पल होते बदलाव को देखा। साथ ही कैमरे से हर पल को कैद भी किया। लोगों ने सोशल मीडिया पर भी सुपरमून की तस्वीरें साझा कीं।
साल के आखिरी सुपरमून का दीदार बृहस्पतिवार को शहरवासियों ने ऑनलाइन किया। इस दौरान चंद्रमा और पृथ्वी के बीच की दूरी तकरीबन 23 हजार किलोमीटर कम होने से चांद 14 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी ज्यादा चमकदार नजर आया। भारतीय समयानुसार सुपरमून की घटना शाम 4:15 बजे अपने चरम पर रही।