आत्माराम त्रिपाठी की रिपोर्ट
लखनऊ –इन दिनों कानपुर शहर पत्रकारों के लियें श्मशान बनता जा रहा है पुलिस की उदासीनता के कारण भाजपा सरकार में पत्रकारों के ऊपर लगातार जानलेवा हमले हुऐ कई पत्रकारों को तो अपनी जान से हाथ धोना पड़ा उसके बाद भी कानपुर प्रशासन ने अपने काम करनें का रवैया नही बदला गत कुछ महीनों पहले रायपुरवा थानान्तर्गत एक पत्रकार की हत्या हुई थी जबकि पत्रकार विजय गुप्ता ने राय पुरवा थाने को पहले ही जान के खतरे से अवगत कराया था पर रायपुरवा थाने ने समय रहते कोई कार्यवाही नही की थी यदि पुलिस ने सजगता दिखाई होती तो पत्रकार विजय गुप्ता आज हमारे बीच होते।
आज ऎसा ही एक मामला हरबंस मोहाल थानान्तर्गत चल रहा है जहां छायाकार अरूण कश्यप को भूसाटोली के बदमाशों ने अगवा कर पहले तो मारा पीटा बाद में अरूण के ऊपर ही एक महिला द्वारा छेड़छाड़ के झूटे मुकदमे में फंसा दिया हद तो तब हों गई जब हरबंस मोहाल थाने ने बगैर जांच किये मुक़दमा भी लिख दिया और परोक्षरूप से अपराधियों का ही साथ दिया। जबकि छायाकार अरूण कश्यप ने घटना के एक दिन पहले ही हरबंस मोहाल थानाध्यक्ष को धमकी की मौखिक सूचना दी थी व धमकी की काल रिकार्डिंग भी डाली थी फिर भी थानाध्यक्ष ने कोई ठोस कार्यवाही नही की जिसके फलस्वरू दूसरे दिन मनीष वाजपेई व लाखन नाम के बदमाशों ने अरूण को अगवाकर जान से मारने की कोशिश की अरूण ने किसी तरह मौके से भागकर जान तो बचा ली पर अब लगता है थाना हरबंस मोहाल बदमाशों को पकड़ने के बजाय अपराधियों से मिल पीड़ित पत्रकार को ही अपराधी बनाने में तुले हुए हैं। और गौर करनें वाली बात है के छायाकार अरूण कश्यप ने थानाध्यक्ष को य़े भी बताया था के उसे जहां से अगवा किया गया था वहां सीसीटीवी कैमरे लगे थे पर पुलिस ने कैमरे की फुटेज भी अभीतक नही निकलवाई जिससे साफ नजर आता है के बदमाशों के साथ पुलिस भी अरूण की जान के दुश्मन बने है ।
( पीड़ित छायाकार का नम्बर 7275261676) ।