अभिषेक श्रीवास्तव की रिपोर्ट
लखनऊ। भारत में औषधि अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से तथा देश के युवा वैज्ञानिकों की औषधि अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान को मान्यता प्रदान करने के लिए वर्ष 2004 में सीएसआईआर-केंद्रीय औषधि अनुसंधान संस्थान, लखनऊ ने सीडीआरआई अवार्ड्स की स्थापना की है।
ये प्रतिष्ठित पुरस्कार 45 वर्ष से कम आयु के भारतीय वैज्ञानिकों को दिए जाते हैं जिन्होंने औषधि अनुसंधान एवं विकास के क्षेत्र में प्रभावशाली उत्कृष्ट शोध कार्य किया है। रासायनिक विज्ञान और जीवन विज्ञान के क्षेत्र में दो अलग-अलग पुरस्कार हैं। प्रत्येक पुरस्कार में रुपये20000/- का नकद पुरस्कार और एक प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाता है।
इस पुरस्कार के लिए वैज्ञानिकों का नामांकन आमतौर पर विभिन्न संस्थानों/संगठन/ विश्वविद्यालयों/उद्योगों के प्रमुख, भटनागर पुरस्कार विजेता, राष्ट्रीय विज्ञान अकादमियों के अध्येताओं द्वारा नामित किए जाते हैं। प्रख्यात वैज्ञानिकों की एक समिति इन नामांकनों/आवेदनों की जांच करती है और सीडीआरआई अवार्ड विजेता का चयन करती है।
वर्ष 2004 के बाद से, कुल 34 वैज्ञानिकों (रासायनिक विज्ञान में 17 उत्कृष्ट वैज्ञानिक और जैविक विज्ञान में 17 उत्कृष्ट वैज्ञानिक) को भारत में औषधि अनुसंधान एवं विकास में उनके उल्लेखनीय योगदान के लिए यह प्रतिष्ठित पुरस्कार मिल चुका है। इन 34 सीडीआरआई पुरस्कार विजेताओं में से, डॉ शांतनु चौधरी, डॉ सतीश सी राघवन, डॉ बालासुब्रमण्यम गोपाल, डॉ सुवेंद्र नाथ भट्टाचार्य, डॉ डी श्रीनिवास रेड्डी, डॉ सौविक मैती, डॉ गोविंदसामी मुगेश, डॉ गंगाधर जे संजयन, प्रोफेसर संदीप वर्मा, प्रोफेसर शांतनु भट्टाचार्य, प्रोफेसर उदय मैत्रा को प्रतिष्ठित शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार भी मिला, जिसे विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारतीय नोबल पुरस्कार के समान माना जाता है। इस वर्ष के विजेताओं में से डॉ बुशरा अतीक को भी मेडिकल साइन्सेज का इस वर्ष का शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार हाल ही में मिला है। इन सभी सीडीआरआई पुरस्कार विजेताओं में से अनेक अब विभिन्न संस्थानों / संगठन में शीर्ष भूमिका में हैं।
डॉ बुशरा अतीक की खोज ने उन्हें सीडीआरआई अवार्ड-2020 दिलवाया
जैविक विज्ञान (लाइफ साइन्सेज) के क्षेत्र में सीडीआरआई अवार्ड-2020 विजेता, डॉ बुशरा अतीक वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के बायोलॉजिकल साइंसेज एवं बायोइंजीनियरिंग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और वेलकम ट्रस्ट / डीबीटी इंडिया एलायंस की वरिष्ठ फेलो के रूप में कार्यरत हैं।
सीपीपी की कैंसर-रोधी औषधि के रूप में भूमिका की खोज ने डॉ सुराजित घोष
डॉ सुराजित घोष को, प्रभावी सेल पेनेट्रेटिंग पेप्टाइड (कोशिका भेदक पेप्टाइड्स/सीपीपी) जिनका औषधि के रूप में जबरदस्त प्रभाव है, के विकास हेतु इस वर्ष का लाइफ साइन्सेज का सीडीआरआई अवार्ड प्राप्त हुआ। डॉ घोष वर्तमान में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर में बायोसाइंस और बायोइंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
रासायनिक आनुवंशिकी-आधारित पहचान हेतु डॉ रवि मंजीठया के उत्कृष्ट शोध को मिला सीडीआरआई पुरस्कार 2020
डॉ रवि मंजीठया को रासायनिक विज्ञान में सीडीआरआई पुरस्कार 2020 प्राप्त हुआ है। वे वर्तमान में जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च, बंगलुरु में एसोसिएट प्रोफेसर के रूप में कार्यरत हैं।
अपने पुरस्कार व्याख्यान में, उन्होंने ऑटोफेजी के बारे में बताते हुए कहा कि यह एक सेलुलर वेस्ट रीसाइक्लिंग प्रोसेस (कोशिकीय अपशिष्ट पुनरचक्रण प्रक्रिया) है जो ऑर्गेनेल, सेलुलर और ऑर्गैज़्मल होमोस्टैसिस को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। इस प्रक्रिया के संतुलन बिगड़ने पर स्नायुशोथ, इंट्रासेल्युलर संक्रमण, और कैंसर सहित अनेक रोग एवं विकार शरीर में उत्पन्न हो जाते हैं।
सीडीआरआई अवार्ड्स-2020 के व्याख्यानों के पश्चात निदेशक प्रोफेसर तपस कुंडु ने एवं ऑनलाइन ही कार्यक्रम में शामिल संस्थान के पूर्व निदेशक डॉ कंबोज ने विजेताओं को बधाई दी एवं भविष्य में औषधि अनुसंधान को नई दिशा देने के लिए उनका आह्वान किया। कार्यक्रम का सीधा प्रसारण संस्थान के यूट्यूब चैनल के माध्यम से किया गया एवं सभी प्रतिभागी एमएस टीम के माध्यम से कार्यक्रम में सम्मिलित हुए।