कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊः ललितपुर जिले के महरौनी विधानसभा क्षेत्र में किसानों को केसीसी ऋण वसूली के नोटिस भेजे जाने की घटना पर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने जोरदार निशाना साधा। उन्होंने कहा कहा कि वसूली की नोटिस ने किसानों पर कोरोना के कहर को डबल कर दिया है। एक तरफ जहां लॉकडाउन की वजह से खेतों में खड़ी फसलों की कटाई नहीं हो पा रही है और दूसरे काम बंद हैं, वहीं दूसरी ओर ग्रामीण बैंकों द्वारा किसानों को नोटिस भेजे जाने से अन्नदाता मानसिक रूप से बेहद परेशान हैं। जब लोगों को खाने के लाले पड़े हैं तो लोग ऋण कैसे उतारेंगे?
उन्होंने कहा कि न केवल बैंको ने गरीब किसानों को वसूली की धमकी दी है बल्कि चतुराई से लॉक डाउन के चलते अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ने के लिए नोटिस दी है। यह अलग किस्म की प्रशानसनिक बदमाशी है। दस्तावेजों से पता चलता है कि नोटिस भेजने की तारीख 11 मार्च है जबकि ऋण राशि जमा करने की अंतिम तिथि 16 मार्च बताई गई है। अब भला पांच दिन में कौन किसान ऋण जमा कर पाएगा। अगर वो करना भी चाहता है तो।
उन्होंने कहा कि इससे भी ज्यादा हास्यास्पद बात यह है कि डाक विभाग के माध्यम 25 मार्च को डिस्पैच किया गया। यानि जिस रात को प्राधानमंत्री ने लॉकडाउन का ऐलान किया उसके अगले दिन। इस प्रकार योगी सरकार ने न सिर्फ गरीब किसानों का अपमान किया है बल्कि प्रधानमंत्री के लॉकडाउन के आदेश का भी सरासर उल्लंघन किया है। लॉकडाउन का उल्लंघन करने के जिम्मेदार लोगों पर योगी सरकार को कार्रवाई करना चाहिए।
कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि न केवल किसानों की ऋणामफी की जाए बल्कि जब लॉकडाउन खत्म हो तो इससे किसानों को हुए नुकसान का आंकलन किया जाए और उसके नुकसान के एवज में मुआवजा भी प्रदान किया जाए। किसानों को नोटिस भेजने के बजाय योगी सरकार को चाहिए कि मनरेगा जॉब कार्ड धारकों के खाते तक समय पर सहायता राशि ना पहुंचाएं, गरीब-मजदूरों के लिए मुफ्त में भोजन राशन का इंतजाम कराए।