सरवन कुमार सिंह की रिपोर्ट
लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश और उत्तर प्रदेश की राजनीति में अपनी विशेष पहचान बना ली है। आज ही उनकी गिनती भी देश के दिग्गज राजनेताओं में होती है। यहां तक कि अब तो उन्हें नरेन्द्र मोदी के बाद भाजपा की ओर से अगले पीएम उम्मीदवार के दावेदारों में भी शामिल किया जाने लगा है।
योगी आदित्यनाथ ने साल 2017 में उत्तर प्रदेश के 21वें मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। इसके बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश के विकास के लिए कई ऐसे कार्य किए हैं जिनके लिए प्रदेश के लोग उनके मुरीद बन गए।
आज हम आपको उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातों की जानकारी देने जा रहे हैं। योगी आदित्यनाथ मूल नाम अजय सिंह बिष्ट था। उनका जन्म 5 जून 1972 को हुआ था। उन्होंने बहुत ही कम उम्र में राजनीति में प्रवेश कर लिया था। वह केवल 26 वर्ष की आयु में ही सांसद बन गए थे। योगी आदित्यनाथ 1998, 1999, 2004, 2009 और 2014 में भी गोरखपुर के संसद रहे।
योगी आदित्यनाथ एक ऐसा नाम, जिससे सायद ही कोई देशभर में वंचित हो। उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे देश में हिंदुत्व के एक बड़े चेहरे के रूप में उनकी एक ख़ास पहचान है। उनका जीवन काफी संघर्षो के साथ गुजरा, उन्होंने बह सब देखा जो एक आम नागरिक अपने जीवन में जीता है। वंही आज अपनी मेहनत, लगन और जनता के प्रति लगाव की बजह से बह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के तौर पर अपने कर्तव्य का निर्बाहन कर रहे है।
बता दे, सीएम योगी स्कूल के दिनों से ही विद्यार्थी परिषद के वर्कर के रूप में कार्य करते थे। शायद यही वजह था कि हिंदुत्व के प्रति उनका लगाव शुरू से रहा। वह अक्सर वाद विवाद प्रतियोगिता में भाग लिया करते थे।
खबरों के अनुसार, एक बार विद्यार्थी परिषद के एक निजी कार्यक्रम में गोरक्ष पीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथ को मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया गया। उस कार्यक्रम में देश भर से आए कई छात्रों ने अपनी बात रखी। जब योगी ने अपनी बात रखनी शुरू की तो लोगों ने खूब सराहना की गई।
कहा जाता है, योगी का भाषण सुन अवेद्यनाथ जी महराज बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने योगी आदित्यनाथ को अपने पास बुलाया और पूछा, कहां से आए हो, तब उन्होंने बताया कि वह उत्तराखंड के पौड़ी के पंचूर से। इस पर महंत अवेद्यनाथ ने कहा कि कभी मौका मिले तो मिलने जरूर आना।
बता दे, महंत अवेद्यनाथ भी उत्तराखंड के ही रहने बाले थे। उनका गांव योगी आदित्यनाथ के गांव से मात्र 10 किलोमीटर की दूरी पर ही स्थित है।
कहा जाता है, उस पहली मुलाकात से योगी बहुत प्रभावित हुए। उनसे मिलने का वायदा कर के वहां से विदा लिए। उस मुलाकात के बाद योगी अवेद्यनाथ जी महराज से मिलने के लिए गोरखपुर आए। कुछ दिन बाद वह फिर अपने गांव लौट गए।
बापिस लौटे के पश्चात योगी आदित्यनाथ ने ऋषिकेश में ललित मोहन शर्मा कॉलेज के एमएससी में दाखिला ले लिया, पर उनका मन गोरखपुर स्थित गुरु गोरखनाथ की तप: स्थली की तरफ हमेशा घूमता रहता था।
इसी बीच अवेद्यनाथ जी महराज बीमार पड़ गए। योगी उनसे मिलने पहुंचे। तब अवेद्यनाथ जी महराज ने उनसे कहा कि हम रामजन्म भूमि पर मंदिर के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं। मैं, इस हाल में हूं यदि मुझे कुछ हो गया तो मेरे मंदिर को देखने वाला कोई नही होगा।
इस सवाल के जवाव में योगी ने कहा था, ”आप चिंता न करें आप को कुछ नहीं होगा। मैं गोरखपुर जल्द आऊंगा।”
योगी जी बारे में कहा जाता है, कि इस घटना के बाद बह बापिस अपने घर आते है और अपनी माँ से अनुमति लेकर बापिस गोरखपुर की तरफ प्रस्थान कर जाते है। उस समय माँ को लगा था, कि बेटा नौकरी के लिए जा रहा है। लेकिन सायद बक्त कुछ और ही कहानी लिख रहा था।
महंत अवेद्यनाथ जी के स्वर्गवास के पश्चात योगी आदित्यनाथ को गोरखनाथ पीठ का पीठाधीस नियुक्त किया गया। जिसके बाद, उन्होंने कई सार्वजनिक जनता की भलाई के कार्य कर, जनता के मन में अपनी एक ख़ास जगह बनाई।
आज योगी आदित्यनाथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व गोरखनाथ मंदिर के पीठाधीस दोनों के पदभार बरावर सँभालते हुए जनता की सेवा में अपना जीवन समर्पित किये हुए है।