कमलेश कुमार चौधरी की रिपोर्ट
लखनऊ । उत्तर प्रदेश के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने उन अटकलों का खंडन किया है, जिनमें कहा गया है कि कोविड -19 के प्रकोप के कारण पंचायत चुनाव में देरी हो सकती है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया है कि दिसंबर में चुनाव अपने समय पर होंगे। पंचायत चुनावों को पूरा करने की समय सीमा 25 दिसंबर है। मंत्री ने संवाददाताओं से कहा है कि चार जिलों में परिसीमन के कामों को पूरा करने, 48 जिलों में 1,000 ग्राम पंचायतों के पुनर्गठन और रोल संशोधन और वाडरें के आरक्षण का काम पूरा करने में कम से कम छह महीने की जरूरत है।
सिंह ने कहा कि वह त्रिस्तरीय ग्रामीण चुनावों को समय पर पूरा करने के लिए आश्वस्त हैं क्योंकि अभी भी ग्राम पंचायतों, ब्लॉकों और जिला प्रमुखों के कार्यकाल को पूरा करने में सात महीने शेष हैं।
मंत्री ने कहा कि हालांकि पंचायत चुनाव पार्टी की तर्ज पर नहीं लड़े जाएंगे, लेकिन राजनीतिक दल किसी भी उम्मीदवार का समर्थन करने के लिए स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ सरकार ग्राम पंचायतों को सशक्त बनाने और जमीनी स्तर पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए प्रतिबद्ध है।
उत्तर प्रदेश में लगभग 59,000 ग्राम पंचायतों के चुनाव 15 दिसंबर तक होने हैं, तब ही मौजूदा पंचायतों का कार्यकाल समाप्त हो रहा है। कई छोटे गांवों को एक पंचायत में रखा गया है।
2015 के पंचायत चुनावों के बाद लगभग 1,000 ग्राम पंचायतों को नगर क्षेत्रों में एकीकृत किया गया है।
राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) के अतिरिक्त आयुक्त वेद प्रकाश वर्मा ने कहा है कि आयोग समय पर चुनाव कराने के लिए तैयार है, बशर्ते राज्य सरकार रोल संशोधन, वाडरें के आरक्षण और आंशिक परिसीमन से संबंधित काम जल्द पूरा कर ले।
वर्मा ने कहा कि एसईसी ने समय को कम करने के लिए चुनाव को अलग-अलग चरणों में आयोजित करने की रणनीति बनाई है और चुनाव प्रक्रिया को कम समय में पूरा किया जाएगा।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के संकट में ग्राम पंचायतों की भूमिका, अब मनरेगा के तहत प्रवासी श्रमिकों को रोजगार प्रदान करने में महत्वपूर्ण है।