लखनऊ-मास्टर प्लान में शामिल गांवों की जमीनों की मौजूदा स्थिति का पता लगाने के लिए अब लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) के चक्कर नहीं काटने होंगे। लविप्रा अब अपने मास्टर प्लान को आनलाइन करने जा रहा है। लविप्रा ने जियोग्राफिक इंफारमेशन सिस्टम (जीआइएस) आधारित मास्टर प्लान तैयार कर लिया है। इस मास्टर प्लान को लविप्रा की अगली बोर्ड बैठक में स्वीकृति के लिए लाया जाएगा। स्वीकृति मिलने के बाद आम नागरिकों से दावे और आपत्तियां मांगी जाएंगी, जिसके लिए एक माह का समय सुनिश्चित किया जाएगा।
जीआइएस मास्टर प्लान से उन लोगों को सबसे अधिक मदद मिलेगी जो अवैध रूप से विकसित हो रही प्लाटिंग में अपने जीवन की सारी पूंजी लगा देते हैं। ऐसी अवैध प्लाटिंग को लविप्रा सील कर देता है। लखनऊ में ऐसे करीब 46 हजार से अधिक पीडि़त हैं, जिनकी पूंजी लेकर डेवलपर या तो फरार हो गए हैं या फिर जेल में हैं।
लविप्रा ने आमजन तक अपने मास्टर प्लान और महायोजना की जानकारी पहुंचाने के लिए एक निजी साफ्टवेयर कंपनी से जीआइएस आधारित मास्टर प्लान तैयार कराया है। इस मास्टर प्लान में राजस्व विभाग के नक्शे, लविप्रा का मास्टर प्लान और सेटेलाइट आधारित फोटो को शामिल किया गया है। इस मास्टर प्लान पर कोई भी व्यक्ति आनलाइन ही अपना खसरा नंबर डालेगा तो उसे गांव का नाम, भूमि का उपयोग आवासीय है या कमर्शियल जैसी जानकारियों के साथ वहां की मौजूदा स्थिति की सेटेलाइट इमेज भी दिखेगी।
महायोजना 2031 को भी जीआइएस मास्टर प्लान के साथ शामिल किया गया है। दूसरे चरण में लविप्रा की विकसित की गई कालोनियों और अपने लेआउट को भी इससे जोड़ा जाएगा, जिससे लविप्रा की जमीनों का आडिट बिना देरी के हो सकेगा। आडिट में जमीन पर हुए कब्जे, अधिग्रहण सहित कई गतिविधियों की मानीटरिंग की जा सकेगी।
जीआइएस आधारित मास्टर प्लान तैयार हो गया है। इसे अगली बोर्ड बैठक में स्वीकृति के लिए लाया जाएगा। इसके बाद दावे और आपत्ति आमंत्रित किए जाएंगे।