योगेश कुमार की रिपोर्ट
लखीमपुर खीरी । कोरोना काल में दुधवा में भीड़ कम करने के लिए जंगल के पास के फार्म हाउसों पर भी पर्यटक रुक सकेंगे। वहां उनको जंगल में होने का एहसास तो मिलेगा ही, साथ ही मनपसंद खाना भी मिल सकेगा। सैलानी जंगल किनारे बने फार्म हाउस में रुककर जंगल से सटे लोगों का गांव के माहौल से भी रूबरू होंगे। इन फॉर्म हाउसों में रुकने वाले सैलानियों को प्रतिदिन तीन से पांच हजार रुपये अदा करना पड़ेगा।
वर्ष 2018 में आयोजित बर्ड फेस्टिवल के दौरान कार्यक्रम का शुभारंभ करने पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पार्क प्रशासन व जंगल के किनारे रहने वाले फार्मरों को दुधवा से आमदनी का नया फार्मूला बताया था। मुख्यमंत्री के इस फार्मूले को पार्क महकमे के साथ जंगल किनारे बसने वाले फार्मरों ने भी गंभीरता से लेते हुए आधुनिक सुविधाओं से लैस स्टे होम नामक सुंदर भवन तैयार किए थे जिन्हें पार्क प्रशासन के सभी नियमों का पालन करने के बाद हरी झंडी दे दी थी।
पार्क प्रशासन के मानकों को पूरा करने वाले तीन फार्मरों में एक डा. वीपी सिंह जिन्होंने किशनपुर क्षेत्र में जंगल के किनारे दुधवा आने वाले सैलानियों के लिए आधुनिक सुविधाओं से लैस स्टे होम तैयार कराया था जिसका लाभ इस बार भी सैलानी उठा सकेंगे। डॉक्टर बी पी सिंह के मुताबिक स्टे होम का किराया 5 हजार रुपये प्रतिदिन है। इस स्टे होम भवन में दो कमरे, लॉन, लैट्रिन बाथरूम के साथ जंगल की सुंदरता जुड़ी हुई है।
इसके अलावा थारू क्षेत्र चंदन चौकी के राजा राम व रामनाथ के द्वारा अलग-अलग स्टे होम स्थापित है। जहां सैलानी पहुंचकर थारू कल्चर के साथ इलाके की जानकारी से रूबरू होंगे। इसने किराए तीन से चार हजार रुपये के आसपास हैं। इन तीनों स्टे होम में रुकने वाले सैलानियों को दुधवा के आसपास की लोकल्टी के साथ कल्चर की भी जानकारी हो सकेगी। जो कि जंगल में पार्क प्रशासन के द्वारा बने रेस्ट हाउस व गेस्ट हाउस में नहीं हो सकती है।
फार्मरों ने भी बना रखे हैं सर्व सुविधा से लैस गेस्ट हाउस
दुधवा टाइगर रिजर्व के शीतकालीन सत्र में पहुंचने वाले देसी विदेशी सैलानी पार्क प्रशासन के द्वारा बनाए गए गेस्ट हाउस, गेस्ट हाउस के साथ स्टे होम के अलावा जंगल के किनारों पर भीरा क्षेत्र में कुछ किसानों द्वारा सभी सुविधाओं से लैस गेस्ट हाउस बना रखे हैं जो कि जंगल के बीच स्थित है।