उमाकांत गौतम की रिपोर्ट
लखनऊ- लगभग डेढ़ वर्षो से कोविड-19 की महामारी से जहां पूरा देश परेशान है। वही हमारे प्राइवेट शिक्षक को नहीं मिल रहा है महामारी में जीविका चलाने का कोई साधन। बच्चों को शिक्षा देकर उनके भविष्य को उज्जवल बनाने वाले ही शिक्षक आज अपनी जीविका के लिए हो रहे हैं परेशान। इस महामारी को चलते ना तो उनका व्यवसाय ही चल रहा है और ना ही विद्यालय या शासन से उनको कोई सहयोग मिल पा रहा है।
शिक्षकों का कहना है की इस लॉकडाउन के चलते काफी विद्यालयों ने ऑनलाइन क्लासेस चलाना शुरु भी किया। जिसमें पेरेंट्स के प्रति बच्चो को ऑनलाइन शिक्षा के प्रति रुझान कुछ कम दिखा। जिसके चलते काफी विद्यालयों ने ऑनलाइन क्लासेस को समाप्त भी कर दिया। गांव के कई घरों में ऑनलाइन क्लास लेने के लिये न तो बिजली ही है न बच्चे या पेरेंट्स के पास स्मार्टफोन जिसके कारण भी इस प्रक्रिया को आगे नहीं बढ़ाया जा सका।
इस कोरोना महामारी जैसी स्थिति में यूपी के लगभग 65 प्रतिशत शिक्षको की एकमात्र शिक्षा ही व्यवसाय होने के कारण उनकी जीविका नहीं चल पा रही है शासन के कड़े रवैए के चलते लॉकडाउन में उन्हें दूसरा कोई रोजगार भी उपलब्ध नहीं हो पा रहा है जिससे वह अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर सकें। ऐसे में शिक्षकों का सरकार से कहना है कि या तो उन्हें कोई रोजगार मुहैया कराएं या फिर इस महामारी के दौरान उन्हें अपनी जीविका चलाने के लिए सामग्री उपलब्ध कराई जाए।